इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में गौशाला में गायों के साथ अननेचुरल सेक्स करने के आरोपी व्यक्ति की दूसरी बार जमानत की मांग खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि आरोपी की मांग में कोई मेरिट नहीं है. वहीं आरोपी के वकील ने जिरह करते हुए कहा कि आरोपी पिछले साल से जेल में बंद हैं और मुकदमे की सुनवाई शुरू होने में अभी देरी है. बता दें कि याचिकाकर्ता पर गायों के साथ अननेचुरल सेक्स करने का आरोप है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस पीयूष अग्रवाल की पीठ ने पाया कि वीडियो साक्ष्य और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की मेडिकल रिपोर्ट कथित कृत्यों की पुष्टि करती है. चूंकि बचाव पक्ष कोई नया आधार प्रस्तुत नहीं कर सका, इसलिए अदालत ने आरोपी की दूसरी जमानत अर्जी को आधारहीन माना. यह आदेश आरोपी द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया, जिसने हापुड़ नगर पुलिस स्टेशन, जिला हापुड़ में धारा 377 आईपीसी के तहत दर्ज एक मामले में दूसरी बार जमानत मांगी थी.
आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने दावा किया कि वह निर्दोष है और उस पर गलत आरोप लगाया गया है. वकील ने आरोप लगाया कि मुखबिर ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर मौजूदा ग्राम प्रधान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए दो दिन की देरी से एफआईआर दर्ज कराई, क्योंकि आरोपी ग्राम प्रधान के परिवार का सदस्य है. वकील ने यह भी तर्क दिया कि पहली जमानत सुनवाई के दौरान किसी गवाह से पूछताछ नहीं की गई थी, लेकिन अब चार गवाहों से पूछताछ की गई है, जिन्होंने अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया और उन्हें पक्षद्रोही घोषित कर दिया गया.
इसके अलावा, आरोपी के वकील ने बताया कि वीडियो बनाने वाले का नाम और संपर्क विवरण प्रारंभिक रिपोर्ट या गवाहों के बयानों में शामिल नहीं किया गया था.
अपने मुवक्किल की जमानत की मांग करते हुए एडवोकेट ने तर्क रखा कि रिहा होने पर आरोपी के भागने या जमानत का दुरुपयोग करने का कोई खतरा नहीं है, खासकर तब जब वह 20 जून, 2023 से जेल में है और मुकदमे की सुनवाई में अभी भी देरी है.
दूसरी ओर, सरकारी वकील ने दलील का विरोध करते हुए कहा कि एक गवाह के फोन पर व्हाट्सएप के जरिए प्राप्त एक वीडियो में दिखाया गया है कि आरोपी गायों के साथ कथित कृत्य कर रहा है.