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भारत की सिर्फ 24% कंपनियां साइबर सुरक्षा जोखिमों से निपटने के लिए तैयार: रिपोर्ट

टेक्नोलॉजी आने के साथ - साथ इससे संबंधित अपराध भी अपने चरम पर है जिसे साइबर अपराध या साइबर हमला कहते हैं. साइबर अपराध को अंजाम देने वाले को साइबर अपराधी कहा जाता है. आज शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो कोई ऐसा डिवाइस का प्रयोग ना करता हो जिसे हैक ना किया जा सके. 

Written by My Lord Team |Published : March 21, 2023 1:07 PM IST

जयपुर: हमारे देश के सिर्फ 24 प्रतिशत संगठनों में ही आधुनिक साइबर-सुरक्षा जोखिमों का सामना करने के लिए जरूरी तैयारी का परिपक्व स्तर मौजूद है. यह आंकड़ा सिस्को की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में पेश किया गया है.

इसके साथ ही सिस्को ने कहा कि अगले तीन साल में उसकी भारत में करीब पांच लाख साइबर-सुरक्षा पेशेवरों को प्रशिक्षण देने की योजना है. संचार प्रौद्योगिकी कंपनी सिस्को ने मंगलवार को जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक स्तर के कारोबारी एवं सुरक्षा दिग्गजों ने अगर जरूरी कदम नहीं उठाए तो साइबर-सुरक्षा की तैयारी को लेकर फासला बढ़ सकता है.

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार सिस्को के पहले साइबर-सुरक्षा तैयारी सूचकांक में अच्छा प्रदर्शन करने वाले संगठनों का भी उल्लेख किया गया है. सिस्को ने कहा कि सर्वेक्षण में शामिल 90 प्रतिशत संगठनों को यह आशंका सता रही है कि अगले 12 से 24 महीनों में उनके कारोबार को साइबर- सुरक्षा से जुड़े मसलों का सामना करना पड़ सकता है.

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वैश्विक स्तर पर सिर्फ 15 प्रतिशत कंपनियां ही साइबर-सुरक्षा से जुड़े जोखिमों का सामना करने के लिए तैयार हैं. इसकी तुलना में भारत में यह औसत 24 प्रतिशत है लेकिन अब भी यह संख्या बहुत कम है.

सिस्को के भारत एवं दक्षेस क्षेत्र के निदेशक (सुरक्षा कारोबार समूह) समीर मिश्रा ने कहा कि डिजिटलीकरण के रास्ते पर तेजी से बढ़ रही कंपनियों के लिए साइबर-सुरक्षा शीर्ष प्राथमिकता है. ऐसी स्थिति में उनके लिए साइबर-सुरक्षा से जुड़ी तैयारियां काफी अहम हैं.