चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट में 3 और मद्रास हाई कोर्ट में 4 स्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की है. यह सिफारिश 20 फरवरी, 2025 कि दिन हुए कॉलेजियम की बैठक के बाद में लिया गया.
कॉलेजियम ने जिन अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है, उनमें (i) श्री जस्टिस शैलेश प्रमोद ब्रह्मे, (ii) श्री जस्टिस फिरदोश फिरोज़ पूनीवाला, और (iii) श्री जस्टिस जितेंद्र शांति लाल जैन शामिल हैं. एक अधिकारिक बयान में यह भी कहा गया है कि एडिशनल जज मंजुषा अजय देशपांडे की नियुक्ति की अवधि को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है. यह निर्णय उनके काम की गुणवत्ता और न्यायालय में उनकी उपस्थिति के आधार पर लिया गया है.
इसके अलावा, मद्रास हाई कोर्ट के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में कॉलेजियम ने जिन नामों की सिफारिश की है, उनमें जस्टिस रामासामी सक्थिवेल, पी. धनाबाल, चिन्नासामी कुमारप्पन, और कंदासामी राजासेकर शामिल हैं.
संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में कई चरण होते हैं, जिनमें उनके कार्यों का मूल्यांकन भी शामिल होता है. मुख्य न्यायाधीश को अतिरिक्त न्यायाधीश को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश करते समय, उन्हें संबंधित न्यायाधीश द्वारा किए गए मामलों के निपटान और दिए गए फैसलों के आंकड़े भी प्रस्तुत करने होते हैं. इस जानकारी में महीनेवार मामला निपटाने की संख्या, न्यायालय में उपस्थिति के दिन और अनुपस्थित रहने के दिन शामिल होते हैं.
अनुच्छेद 224 के तहत राष्ट्रपति द्वारा अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति की जा सकती है. न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए एक मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) भी है. इस प्रक्रिया के अनुसार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को तब तक अतिरिक्त न्यायाधीश की नियुक्ति की सिफारिश नहीं कर सकते हैं, जब तक कि स्थायी न्यायाधीश के लिए कोई रिक्ति उपलब्ध न हो.
(खबर IANS इनपुट से है)