सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि डीलिंग असिस्टेंट और सीनियर कोर्ट असिस्टेंट अपना काम पूरी लगन से करें. एक आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और पी.के. मिश्रा की पीठ ने पाया कि डायरी नंबर 31838 ऑफ 2023 के तहत सूचीबद्ध एक विशेष अनुमति याचिका को एक नियमित नंबर यानी एसएलपी (सीआरएल) नंबर 10022/2024 दिया गया था.
इसके बाद जस्टिस दत्ता की अगुवाई वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से कंफ्यूजन को दूर करने करने को लेकर एक उचित रिपोर्ट पेश करने को कहा था.
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि हालांकि विशेष अनुमति याचिका दायर करने की टाइम पीरियड समाप्त हो चुकी थी और देरी की माफी के लिए एक आवेदन दायर किया गया था, लेकिन रजिस्ट्री ने उन्हें सूचित किया कि देरी की माफी के लिए किया गया आवेदन रद्द हो गया है क्योंकि उन्होंने विशेष अनुमति याचिका समय के भीतर दायर की है.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा,
"रजिस्ट्री द्वारा यह राय इस आधार पर बनाई गई थी कि याचिकाकर्ता ने हटाए गए आदेश निर्णय और आदेश की प्रमाणित प्रति के लिए आवेदन किया था और आदेश की कॉपी प्राप्त करने में लगने वाले समय को कंप्यूटिंग सीमा से बाहर रखा गया है. हालांकि, इसकी कोई रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं है."
इसने रजिस्ट्री से कहा कि यदि रिपोर्ट तैयार की गई है तो एक सप्ताह के भीतर उसकी प्रति दाखिल की जाए, जबकि यह राय बनाई जा रही है कि विशेष अनुमति याचिका सीमा अवधि के भीतर दाखिल की गई थी और समय-सीमा समाप्त नहीं हुई है.
सर्वोच्च न्यायालय ने चेतावनी दी,
"रजिस्ट्रार यह सुनिश्चित करें कि डीलिंग असिस्टेंट और सीनियर कोर्ट असिस्टेंट अपना काम पूरी लगन से करें. यदि हमारे संज्ञान में दोबारा कोई गलती या लापरवाही आती है तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं."
विशेष अनुमति याचिका को रिपोर्ट के साथ दस दिन बाद फिर से सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया है.