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शादी में मिले गिफ्ट की सूची बनानी क्यों है जरूरी? दहेज से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बताया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज निषेध अधिनियम को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है.

दहेज से जुड़े विवाद की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि दहेज निषेध नियम के अनुसार, शादी के दौरान मिले गिफ्ट को दहेज नहीं माना जाएगा लेकिन इन कपल को मिले गिफ्ट की सूची बनाकर उस पर हस्ताक्षर करनी होगी.

Written by Satyam Kumar |Updated : May 15, 2024 3:58 PM IST

Dowry Prohibition Rules: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि दहेज निषेध अधिनियम के तहत, विवाह के समय मिले गिफ्ट को 'दहेज' नहीं माना जाएगा लेकिन कपल्स द्वारा इन गिफ्ट की सूची बनानी जरूरी है. उन्हें विवाह समारोह के दौरान मिले गिफ्ट की लिस्ट बनानी होगी, वर और वधू, दोनों को अपने सिग्नेचर भी करने होंगे.  मामले में अदालत ने यूपी सरकार से दहेज निषेध अधिनियम के तहत राज्य में कितने दहेज निषेध अधिकारी कार्यरत हैं और वे किस लेवल पर है, ये बताने को भी कहा है. अगर राज्य ने अब तक कोई दहेज निषेध अधिकारी नियुक्त नहीं किया हैं, तो इसका कारण भी बताने को कहा है.

विवाह के दौरान मिले गिफ्ट 'दहेज' नहीं है

इलाहाबाद हाईकोर्ट में, जस्टिस डी चौहान दहेज से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. रिकार्ड पर रखे गए साक्ष्यों में शादी समारोह के दौरान मिले गिफ्ट की सूची नहीं दिखने पर जस्टिस ने चिंता जाहिर की. उन्होंने राज्य के अधिकारियों की इस लापरवाही से नाराजगी जाहिर की.

बेंच ने कहा,

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"अदालत को यह नहीं बतााया गया है कि उपरोक्त प्रावधान की किसी भी तरह से निगरानी या कार्यान्वयन राज्य सरकार के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा किया जा रहा है. दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3(2) को उसकी मूल भावना के साथ लागू करने की आवश्यकता है ताकि नागरिकों को तुच्छ मुकदमेबाजी का विषय न बनना पड़े.''

गिफ्ट की सूची बनानी क्यों जरूरी है?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, दहेज निषेध नियम, 1985 के मुताबिक विवाह के दौरान मिले गिफ्ट को दहेज नहीं माना जाता है लेकिन इन गिफ्ट की सूची बनानी बेहद जरूरी है. बाद में, अगर दोनों पक्षों में अनबन हो जाए, तो उन परिस्थितियों में झूठे दहेज का मुकदमा नहीं किया जा सके. किसी को भी बेवजह प्रताड़ित नहीं होना पड़े. अदालत ने बताया कि गिफ्ट की सूची पर दोनों पक्षों (वर और वधु) के सिग्नेचर भी होने चाहिए.

यूपी राज्य को मिले निर्देश

दहेज निषेध कानून के अनुसार, राज्य में दहेज निषेध ऑफिसर की नियुक्ति की जानी चाहिए. बेंच ने यूपी राज्य से पूछा कि नियमों के अनुपालन के लिए राज्य में कितने अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. अगर अब तक इस संबंधित विषय में कोई अधिकारी नियुक्त नहीं हुए है तो उसकी भी सूची राज्य के सामने पेश करें.

मामले में राज्य को मिले गिफ्ट की सूची बनाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही राज्य की ओर से दहेज निषेध अधनियम के तहत कानून लागू की गई है, तो उसे भी सूचित करें.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 23 मई को होगी.