Advertisement

बंगले में कैश मिलने का मामला, जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों की In-House Committee ने शुरू की जांच

सीजेआई संजीव खन्ना द्वारा नियुक्त की गई इस कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया, और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं. 

Justice Yashwant varma

Written by Satyam Kumar |Published : March 25, 2025 7:01 PM IST

आज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इन-हाउस कमेटी ने अपनी जांच शुरू कर दी है. जांच के क्रम में कमेटी लगभग एक बजे के करीब घटनास्थल का निरीक्षण करने पहुंचे और वहां तकरीबन 45 मिनट रहे. सीजेआई संजीव खन्ना द्वारा नियुक्त की गई इस कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया, और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं.

मामले में अब तक

14 मार्च की रात 11:30 बजे, जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक घर के परिसर में एक स्टोर रूम में आग लग गई थी. आग लगने की सूचना के बाद, पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने 15 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से संपर्क किया. दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय, जो उस समय लखनऊ में होली की छुट्टियों पर थे, को आग लगने की घटना की जानकारी दी गई. उसी शाम, उन्होंने सीजेआई खन्ना से बात की और पुलिस आयुक्त से घटना के बारे में और जानकारी मांगी. 16 मार्च को, पुलिस आयुक्त ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को घटना के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के पर्सनल सेक्रेटरी ने पुलिस कंट्रोल रूम को आग लगने की सूचना दी थी. उन्होंने कहा कि आग लगने वाला स्टोर रूम गार्ड रूम के पास था, जहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कर्मी तैनात थे. मुख्य न्यायाधीश ने अपने रजिस्ट्रार-सेक्रेटरी को घटना स्थल पर जाने का निर्देश दिया. रजिस्ट्रार और जस्टिस यशवंत वर्मा ने स्टोर रूम का दौरा किया और पाया कि यह पूरी तरह से जल चुका था. हालांकि, रजिस्ट्रार ने स्टोर रूम में किसी भी जलने वाली पैसे के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया.

17 मार्च को, जस्टिस उपाध्याय और जस्टिस वर्मा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के गेस्ट हाउस में सुबह 8:30 बजे मुलाकात की. जस्टिस वर्मा ने बताया कि स्टोर रूम में पुरानी फर्नीचर और गद्दे जैसे अनुपयोगी घरेलू सामान थे. 20 मार्च को, जस्टिस उपाध्याय ने सीजेआई खन्ना को घटना के फोटो, वीडियो और अन्य सामग्री भेजी. 21 मार्च को, टाइम्स ऑफ इंडिया ने आग और कथित मुद्रा की र्प्राप्ति के बारे में खबर प्रकाशित की. इसके बाद, सभी सुप्रीम कोर्ट के जजों की एक फुल कोर्ट बैठक हुई, जिसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ इन-हाउस जांच कमेटी शुरू की. वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया और न्यायपालिका की जवाबदेही बढ़ाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देने का अनुरोध किया.

Also Read

More News

जांच के दौरान, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने सीजेआई खन्ना को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि सभी जानकारी यह संकेत देती है कि स्टोर रूम केवल निवासियों, स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों के लिए सुलभ था. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है. इस बीच दो बैठक 20 और 24 मार्च के बाद कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में भेजने का निर्देश दिया. वहीं, कॉलेजियम के इस फैसले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनका विरोध किया है.