रिटारमेंट से पहले किसी शख्स के मन का हाल कैसा होता होगा? भावुक, चिंतित या आगे के दिनों को बिताने की प्लानिंग में. भारत के वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल नवंबर में समाप्त होगा और वे अभी रिटायरमेंट से पूर्व के समय से गुजर रहे हैं. हालांकि उन्होंने अपनी असल चिंता को एक भूटान के पारो में जेएसडब्ल्यू लॉ स्कूल के दीक्षांत समारोह में शेयर किया है (CJI DY Chandrachud Concerns During pre-retirement phase). सीजेआई कहते हैं कि इस समय में उनका विचारों से भरा हुआ है कि उनके कार्यकाल को किस तरह से देखा जाएगा और वे भावी जजों और कानूनी पेशेवरों के लिए क्या विशेष सीख या विरासत छोड़कर जाएंगे.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सर्विस के दौरान उन्होंने अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण दिखाई. सीजेआई ने आगे कहा कि कई प्रश्नों के उत्तर उनके नियंत्रण से परे हैं, शायद उनके उत्तर कभी नहीं मिलेंगे. लेकिन मैनें पिछले दो साल से हर सुबह अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के संकल्प से उठा हूं और रात को सोने से जाने से पहले उन्होंने महसूस करता हूं कि मैनें आज पूरी लगन के साथ देश सेवा का किया. इस दौरान विश्वास और क्षमताओं में आस्था होने पर परिणामों की चिंता कम होती थी, और जब आप ऐसा करते हैं तो परिणामों की बजाय प्रक्रिया और यात्रा का आनंद ले सकेंगे. सीजेआई ने प्री-रिटायरमेंट फेज में अपने मन में चल रहे विचारों को भी शेयर किया.
सीजेआई ने कहा,
"मेरे कार्यकाल की समाप्ति की ओर बढ़ने के साथ, मैं भविष्य और अतीत के बारे में चिंताओं से ग्रस्त हूं. मैं सोच रहा हूं कि क्या मैंने अपने लक्ष्यों को पूरा किया है और इतिहास मेरे कार्यकाल का कैसे मूल्यांकन करेगा. मैं भविष्य की पीढ़ियों के लिए किस प्रकार की विरासत छोड़ूंगा, इस पर विचार कर रहा हूं."
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के साथ इस कार्यक्रम में भूटान की राजकुमारी सोनम डेचन वांगचुक और भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योंपो चोग्याल डागो रिग्द्जिन भी शामिल हुए थे.
सीजेआई ने बताया कि बचपन से ही वे दुनिया में बदलाव लाने की तीव्र इच्छा रखते थे और समय के साथ यह समझा कि समुदाय के विकास में योगदान देने की क्षमता आत्म-धारणा और आत्म-देखभाल में निहित है.सीजेआई ने सलाह दी कि हमें अपनी भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए और इस प्रक्रिया में खुशी खोजनी चाहिए, क्योंकि हम अक्सर मंजिल की चिंता में यात्रा का आनंद नहीं ले पाते. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने युवाओं को सलाह दी कि अपने डर का सामना करना व्यक्तिगत विकास का हिस्सा है, जो हमें अपने लक्ष्यों तक पहुँचने से रोकते हैं