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'अल्पकालिक संतुष्टि की दुनिया में धैर्य ही कुंजी है', NLSIU दीक्षांत समारोह में बोले CJI डीवाई चंद्रचूड़

बेंगलुरू के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU) के 32वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने लॉ ग्रेजएट को संबोधित करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी क्षणिक सुख के पीछे भाग रहे हैं, इसलिए हमें तेजी से बदल रही दुनिया में अल्पाकालिक उपायों के पीछे ना भागते हुए दीर्घकालिक समाधान की खोज करनी चाहिए.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

Written by Satyam Kumar |Published : September 23, 2024 9:51 AM IST

बेंगलुरू के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU) के 32वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने लॉ ग्रेजएट को संबोधित करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी क्षणिक सुख के पीछे भाग रहे हैं, इसलिए हमें तेजी से बदल रही दुनिया में अल्पाकालिक उपायों के पीछे ना भागते हुए दीर्घकालिक समाधान की खोज करनी चाहिए, इसके लिए हमें बेहद धैर्य की जरूरत हैं(CJI DY Chandrachud To NLSIU Convocation).

हम अल्पकालिक सुख के पीछे भागने वाली पीढ़ी: CJI

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जो बेंगलुरू एनएलएसआईयू के कुलाधिपति भी है, ने छात्रों को धैर्य रखने पर विशेष जोड़ दिया. सीजेआई ने कहा कि मैं छात्रों को धैर्य रखने के लाभों को बताना चाहूंगा. आधुनिक स्टडी, शोध बताती है कि हम अल्पकालिक या क्षणिक सुख के पीछे भागने वाली पीढ़ी बन गए है. वर्तमान परिस्थितियों पर नजर डालें तो तेजी से बदलती दुनिया, तकनीक एवं जटिल समस्याओं की जगह दीर्घकालिक पहलुओं के लिहाज से भी बेहतर है.

एक क्लिक पर इच्छाएं हुई पूरी तो स्वभाव में जल्दबाजी दिखना लाजिमी

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आपके स्वभाव में त्वरितता होना लाजिमी है. हमारी पीढ़ी के विपरीत आपने एक क्लिक पर अपनी उलझनों को सुलझाने में तकनीक की मदद ली है. सीजेआई ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जल्दबाजी में लिया गया फैसला व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है. आप जब वकालती पेशे में उतरेंगे, तब इन बातों को आपको सबसे ज्यादा ध्यान में रखना पड़ेगा. इन मांगो को पूरा करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए कि आपको लंबे समय तक इस पेशे में बने रहना है.

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आई एम, आई एम, आई एम

32वें दीक्षांत समारोह के दौरान बोलते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अमेरिकी उपन्यासकार सिल्विया प्लाथ की रचनाओं का जिक्र किया. सीजेआई ने कहा कि कैसे वे हताश होने के समय में लेखिका की प्रसिद्ध पंक्तियां 'आई एम, आई एम, आई एम' दोहराते हुए मुश्किल समय गुजारते थे.

सीजेआई ने कहा,

 “जब आप किसी कठिन निर्णय का सामना करते हैं तो बस वही करें जो मैं करता हूँ - सिल्विया प्लाथ के शब्दों में - मैं एक गहरी साँस लेता हूँ और अपने दिल की पुरानी डींगें सुनता हूं. मैं हूं, मैं हूं, मैं हूं. आपके सामने आने वाले निर्णय, विशेष रूप से कठिन निर्णय, के लिए ताकत की आवश्यकता होगी..."

सीजेआई ने छात्रों को आगे के भविष्य के शुभकामनाएं देते हुए कठिन परिस्थितियों से निपटने की सीख भी दिए है.