कांग्रेस नेता और सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी (Congress Leader Abhishek Manu Singhvi) ने उच्च न्यायालयों में जजों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) के प्रस्ताव का समर्थन किया है. सीनियर एडवोकेट ने कहा है कि यह प्रस्ताव जल्द ही लागू होना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में ऐसी न्यायिक नियुक्तियां न्यायपालिका के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर रही हैं. सिंघवी ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए बताया कि न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है.
सिंघवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में विचाराधीन दोनों प्रस्ताव सही हैं और सुधारात्मक प्रतीत होते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि न्यायिक नियुक्तियों की सच्चाई यह है कि वे अस्पष्ट हैं और उन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करतीं जिनकी मूलतः कल्पना की गई थी. यह स्पष्ट करता है कि न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता है.
1/2If true, both proposals under SC collegium consideration, seemingly radical, are good &shd be implemented sooner rather than later. I wrote decades ago tht collegium judges shd disguise themselves &sit in courts of those judges being consd for elevation or lawyers in action b4…
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) December 30, 2024
सिंघवी ने कहा कि न्यायिक नियुक्तियों में पारिवारिक वंशवाद, अंकल जज, और एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने की प्रवृत्तियां न केवल अन्य वकीलों का मनोबल गिराती हैं, बल्कि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को भी प्रभावित करती हैं. सीनियर वकील ने आगे कहा कि इस प्रकार की नियुक्तियां से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है. यह स्थिति न्यायिक प्रणाली को कमजोर करती है और आम जनता के विश्वास को प्रभावित करती है.
2/2 second proposal must be also implemented. Reality of judl appointments is much murkier &much much more non objective than originally conceived. Mutual Back scratching, uncle judges, family lineages etc demoralise others & bring disrepute to instn. Bt easier said than done:…
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) December 30, 2024
समाचार एजेंसी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ प्रस्ताव लाने का विचार कर रहा है. यदि इस प्रस्ताव पर अमल किया गया तो ऐसी नियुक्तियों में अधिक समावेशिता आएगी. इससे यह धारणा समाप्त होगी कि न्यायिक नियुक्तियों में वंश का महत्व योग्यता से अधिक है.
(खबर PTI इनपुट से है)