नई दिल्ली, देश की न्यायपालिका में गुरूवार का दिन एक नए अध्याय के रूप में शामिल हुआ, जब सर्वोच्च अदालत में कोर्ट संख्या 2 में सुनवाई करने वाले सभी जज महिला जज रहीं.
32 मामलों पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक इतिहास में ये तीसरा मौका है जब केवल महिला जजों वाली बेंच मुकदमों की सुनवाई के लिए गठित कि गयी. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की महिला बेंच के समक्ष कुल 32 मामले सुनवाई के लिए सुचीबद्ध किए गए.
इस बेंच के समक्ष सुचीबद्ध किए गए कुल मामलों में 10 ट्रांसफर याचिकाए, 10 जमानत याचिकाए, 9 दिवानी मामले और 3 अपराधिक मामले शामिल रहें.
पहली बार वर्ष 2013 में और दूसरी बार वर्ष 2018 में महिला बेंच का गठन किया गया था. पहली महिला बेंच में वर्ष 2013 में जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्रा और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की बेंच ने मुकदमों की सुनवाई की थी. उनके बाद जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने दूसरी महिला बेंच में मुकदमों की सुनवाई की.
महिला जजों का सफर
1950 में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद से अब तक 1950 में सुप्रीम कोर्ट के नए रूप में गठन के बाद पहली महिला न्यायाधीश मिलने में चार दशक का वक्त लगा. 6 अक्टूबर 1989 वो ऐतिहासिक दिन रहा जब जस्टिस फातिमा बीवी को सुप्रीम कोर्ट में पहली मजिला जज के रूप में नियुक्त किया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में वकील कोटे से किसी महिला के न्यायाधीश बनने में 68 साल का वक्त लगा. वर्ष 2018 में वकील कोटे से जस्टिस इंदु मल्होत्रा को जज नियुक्त किया गया
महिला जजों के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत को भी चार दशक तक इंतजार करना पड़ा. 6 अक्टूबर 1989 वो ऐतिहासिक दिन रहा जब जस्टिस फातिमा बीवी को सुप्रीम कोर्ट में पहली मजिला जज के रूप में नियुक्त किया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में वकील कोटे से किसी महिला के न्यायाधीश बनने में 68 साल का वक्त लगा. वर्ष 2018 में वकील कोटे से जस्टिस इंदु मल्होत्रा को जज नियुक्त किया गया. स्थापना के बाद सुप्रीम कोर्ट में अब तक कुल 11 महिला जज नियुक्त हुई हैं.
महिला जजों के मामले में अगस्त 2021 से सितंबर 2022 का समय बेहतर रहा हैं जब एक साथ 4 जज देश की सर्वोच्च अदालत में मौजूद थी. इस अवधि में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस बेला त्रिवेदी जज के रूप में कार्यरत रहीं.