नई दिल्ली: अगर आप इनकम टैक्स भरते हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आपको कौन सा Income Tax Return (ITR) Form भरना चाहिए. Income Tax Act के तहत इनकम टैक्स रिटर्न एक ऐसा फॉर्म होता है जिसमें टैक्सपेयर्स अपनी इनकम और एप्लीकेबल टैक्स के बारे में सभी जानकारी देते हैं.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कई तरह के आईटीआर फॉर्म जारी करता है. इनमे कुछ ऐसे फॉर्म होते हैं जो आईटीआर फॉर्म के साथ लगाए जाते हैं. कई बार लोग इस वजह से कंफ्यूज भी हो जाते हैं कि वो कौन सा फॉर्म भरें. चलिए जानते हैं किस तरह के टैक्सपेयर्स को कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना चाहिए और क्यों.
हर वो व्यक्ति जिनकी सालाना कमाई 50 लाख रुपए तक है, वो फॉर्म 1 को भरते हैं. 50 लाख तक की कमाई में आपकी सैलरी, पेंशन या किसी अन्य इनकम के सोर्स को भी शामिल किया जाता है. 5000 रुपए तक की कृषि आय को भी इसमें शामिल किया जाता है.
इस फॉर्म को वो लोग भर सकते हैं जिनकी कमाई 50 लाख रुपए से ज्यादा है. इसके अंतर्गत, एक से ज्यादा आवासीय संपत्ति, इन्वेस्टमेंट पर हुए कैपिटल गेन या लॉस, 10 लाख रुपए से ज्यादा की डिविडेंड इनकम और खेती से हुई 5000 रुपए से ज्यादा की कमाई के बारे में बताना होता है. इसके अलावा अगर Provident Fund (PF) से ब्याज के तौर पर कमाई हो रही है, तब भी ये फॉर्म भरा जाता है.
अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आपने इक्विटी अनलिस्टेड शेयर में निवेश किया हो, किसी कंपनी में पार्टनर के तौर पर कमाई कर रहे हों, तो ITR Form 3 भर सकते हैं. इसके अलावा ब्याज, सैलरी, बोनस से आमदनी, कैपिटल गेन्स, हॉर्स रेसिंग, लॉटरी, एक से ज्यादा प्रॉपर्टी से किराए की इनकम होती है, तो भी आप ये फॉर्म भर सकते हैं.
इस तरह का फॉर्म इंडिविजुअल और HUF (हिंदू अविभाजित परिवार) के लिए होता है. अगर आपकी इनकम अपने बिजनेस या किसी पेशे से होती है जैसे- डॉक्टर-वकील की आमदनी, पार्टनरशिप फर्म्स (LLP के अलावा) चलाने वाले, धारा 44AD और 44AE के तहत इनकम करने वाले और सैलरी या पेंशन से 50 लाख से ज्यादा की कमाई करने वाले लोग इस फॉर्म को भरते हैं.
इतना ही नहीं अगर आप फ्रीलांसर हैं लेकिन सालाना कमाई 50 लाख से ज्यादा है, तो भी ये फॉर्म आप भर सकते हैं.
यह फॉर्म उन संस्थाओं के लिए होता है, जिन्होंने खुद को फर्म, LLPs, AOPs, BOIs के रूप में रजिस्टर्ड करवा रखा है. Association of Persons और Body of Individuals के लिए भी इसी फॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है.
जिन कंपनियों को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 11 के तहत (धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्य वाली प्रॉपर्टी से हुई आय) छूट नहीं मिलती है उनके लिए ITR Form 6 होता है. इसे इलेक्ट्रॉनिकली ही फाइल किया जा सकता है.
जो टैक्सपेयर्स को 139 (4A) या सेक्शन 139 (4B) या सेक्शन 139 (4C) या सेक्शन 139 (4D) के तहत रिटर्न दाखिल करते हैं, उन कंपनियों और लोगों को ITR Form 7 भरना चाहिए.
यह फॉर्म टैक्स रिटर्न फाइल करते हुए देना होता है. यह बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है. ये एक तरीके से आपका सैलरी सर्टिफिकेट होता है, जिसमें आपकी सैलरी, टैक्स डिडक्शन से संबंधित पूरी जानकारी होती है. ये फॉर्म आपकी कंपनी द्वारा जारी किया जाता है. इसमें दो पार्ट होते हैं- A और B.
Form 26AS एक तरह से टैक्स पासबुक होता है. यह फॉर्म टैक्सपेयर्स का एनुअल टैक्स स्टेटमेंट होता है. जिसमें आपके पैन के ऊपर भरा हुआ टैक्स और डिडक्ट किए गए टैक्स की पूरी जानकारी होती है.