नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों को लंबे समय तक पेंडिंग रखने और उन्हे मंजूरी नहीं देने को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति दी है. सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने इस जनहित याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए सूचीबद्ध करने की अनुमति दी हैं.
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने इस जनहित याचिका को सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष मेंशन किया. एक एनजीओ की ओर से दायर एक जनहित याचिका में SC कॉलेजियम की सिफारिशों को लागू करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गयी हैं.
प्रशांत भूषण ने याचिका को मेंशन करते हुए अदालत से कहा कि केंद्र को निर्देश देने वाली जनहित याचिका 2018 से लंबित हैं, केन्द्र लगातार कॉलेजियम की सिफारिशों को नजरअंदाज करता रहा है और वर्तमान में भी केंद्र के समक्ष कई नाम पेंडिंग रखे हुए हैं.
मेंशन करने पर सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि वे इस मामले को जल्द ही सूचीबद्ध करेंगे और वे इस मामले में प्रशासनिक आदेश भी पारित करेंगे.
एडवोकेट प्रशांत भूषण ने जनहित याचिका को लेकर अदालत से कहा कि केन्द्र सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों पर चुप रहकर देश के मुख्य न्यायाधीश के अधिकारों को कमजोर कर रहा है जिससे इस प्रक्रिया के कमजोर होने की संभावनाए है.
प्रशांत भूषण ने याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि कॉलेजियम की सिफारिशों को पेंडिंग रखने से जजो की नियुक्ति में देश के मुख्य न्यायाधीश की वरिष्ठता को कमजोर किया जा रहा है. उन्होने इसे सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन और अन्य बनाम भारत सरकार में निर्धारित कानून का उल्लंघन बताया.
गौरतलब है कि इससे पूर्व हाल ही में 11 नवंबर को जस्टिस एस के कौल की पीठ ने भी जजो की नियुक्ति से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय विधि सचिव को नोटिस जारी किया था. नामों को लंबित रखे जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए पीठ ने कहा था कि दूसरी बार नामों का प्रस्ताव पेश करने के बाद नियुक्ति जारी की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गयी कई सिफारिशों पर केंद्र ने चुप्पी साध रखी हैं. पूर्व सीजेआई जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता में हुए 28 सितंबर के कॉलेजियम ने जस्टिस दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी. इसके साथ उड़ीसा चीफ जस्टिस एस मुरलीधर को मद्रास सीजे बनाने की सिफारिश भी की थी. केन्द्र ने अब तक इन दोनो ही महत्वपूर्ण सिफारिशों पर कोई निर्णय नहीं लिया हैं. जस्टिस मुरलीधर के तबादले के पेंडिंग होने के चलते उड़ीसा सीजे के पद पर जस्टिस जसवंत सिंह की भी पदोन्नति नही हो पायी हैं.
केन्द्र ने इसके साथ कॉलेजियम द्वारा की गयी तबादलों की कई सिफारिशों पर भी चुप्पी साध रखी हैं. राजस्थान हाईकोर्ट सहित कई हाईकोर्ट में जजो की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे गये नाम की सिफारिश भी एक साल से भी अधिक समय से पेंडिंग है.