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भारतीय संविधान के किन Articles में मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्तों से सम्बंधित प्राविधान हैं

हमारे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी और स्वतंत्र निकाय की स्थापना की गई है, जिसे चुनाव आयोग के रूप में जाना जाता है. इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को संविधान के अनुसार किया गया था.

Written by My Lord Team |Updated : March 3, 2023 7:44 AM IST

नई दिल्ली: चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बृहस्पतिवार (March 02) को व्यवस्था दी कि निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी.

पीठ ने कहा की निर्वाचन आयोग (Election commission), स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए बाध्य है, उसे संवैधानिक ढांचे के भीतर कार्य करना चाहिए. जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अपने फैसले में कहा कि यह नियम तब तक कायम रहेगा जब तक कि संसद इस मुद्दे पर कानून नहीं बना देती. आइए जानते हैं, संविधान के किन अनुच्छेदों में निर्वाचन आयोग के अधिकार और निर्वाचन आयुक्तों व मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति का उल्लेख है.

निर्वाचन आयोग

हमारे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी और स्वतंत्र निकाय की स्थापना की गई है, जिसे चुनाव आयोग के रूप में जाना जाता है. इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को संविधान के अनुसार किया गया था. यह आयोग देश के लोकसभा चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है. चुनाव आयोग एक अखिल भारतीय निकाय है, जो केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के लिए सामान्य है.

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संविधान के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति तथा उनके अधिकार क्षेत्र का उल्लेख किया गया है, जिनके बारे में हम विस्तार में जानेंगे.

Article 324: निर्वाचन आयोग में निर्वाचनों का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण निहित होना

(1) इस संविधान के तहत होने वाले संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के लिए और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के लिए होने वाले सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और उनके संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण हेतु एक आयोग (इस संविधान में चुनाव आयोग के रूप में संदर्भित) निहित होगा.

(2) चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और इतने ही संख्या में अन्य चुनाव आयुक्त होंगे, यदि कोई हो, जैसा कि राष्ट्रपति समय-समय पर तय कर सकते हैं और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, संसद द्वारा इस संबंध में बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन, राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी.

(3) जब कोई अन्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाता है तो मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा

(4) लोक सभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के लिए हर आम चुनाव से पूर्व, और पहले आम चुनाव से पूर्व और उसके बाद ऐसी परिषद वाले राज्य की विधान परिषद के लिए प्रत्येक द्विवार्षिक चुनाव से पूर्व, राष्ट्रपति चुनाव आयोग से परामर्श के बाद ऐसे क्षेत्रीय आयुक्त भी नियुक्त कर सकते हैं, जिन्हें वे खंड (1) द्वारा आयोग को प्रदत्त कार्यों के प्रदर्शन में चुनाव आयोग की सहायता के लिए आवश्यक समझें.

(5) संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन, चुनाव आयुक्तों और क्षेत्रीय आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कार्यकाल ऐसा होगा जैसा कि राष्ट्रपति नियम द्वारा निर्धारित कर सकते हैं, बशर्ते कि मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान तरीके और आधारों से ही हटाया जाएगा और मुख्य चुनाव आयुक्त की सेवा की शर्तों में उनकी नियुक्ति के पश्चात उनके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा. परन्तु और किसी भी अन्य चुनाव आयुक्त या क्षेत्रीय आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश से पद से हटाया जा सकता है.

(6) राष्ट्रपति, या किसी राज्य के राज्यपाल, चुनाव आयोग द्वारा अनुरोध किए जाने पर, चुनाव आयोग या क्षेत्रीय आयुक्त को ऐसे कर्मचारी उपलब्ध कराएंगे, जो खंड (1) द्वारा चुनाव आयोग को प्रदत्त कार्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक हो सकते हैं

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह भी कहा है कि अगर विपक्ष के नेता नहीं हैं, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता EC, CEC की नियुक्ति के लिए समिति में होंगे. पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में चुनाव प्रक्रियाओं में निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर जोर दिया और कहा कि लोकतंत्र लोगों की इच्छा से जुड़ा है.