नई दिल्ली: आम तौर पर लापरवाही से किए गए कामों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाता है क्योंकि ऐसे कामों के पीछे कोई आपराधिक इरादा (Criminal Intention) नहीं होता, लेकिन कुछ मामलों में लापरवाही से किए गए काम भी अपराध के दायरे में आ सकते हैं.
आपराधिक लापरवाही से तात्पर्य यह होता है कि जब कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करता है जिससे मानव जीवन की सुरक्षा के लिए स्पष्ट जोखिम हो और ऐसे कार्य करने वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है. आइए जानते हैं भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) के प्रावधान जिनके तहत ऐसे लापरवाही से युक्त आचरण के संबंध में सज़ा के प्रावधान बनाए गए हैं.
धारा 284 के अनुसार, जो कोई व्यक्ति किसी जहरीले पदार्थ के साथ इस तरह के उतावलेपन या लापरवाही से कोई कार्य करता है जिससे मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है, या किसी व्यक्ति को चोट या क्षति लगने की संभावना हो सकती है, या अपने कब्जे में किसी जहरीले पदार्थ के संबंध में जानबूझकर या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करने से चूक जाता है जिसके द्वारा उस खतरे से बचाव हो सकता था, तो इन दोनों ही स्थितियों में दोष साबित होने पर व्यक्ति को 6 महीने तक की जेल की सजा हो सकती है और एक हज़ार रुपये (1000) तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है या दोनों दंड दिए जा सकते हैं.
धारा 285 के तहत, जो कोई व्यक्ति किसी आग या ज्वलनशील पदार्थ के साथ इस तरह के उतावलेपन या लापरवाही से कोई कार्य करता है जिससे मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है, या किसी व्यक्ति को चोट या क्षति लगने की संभावना हो सकती है, या अपने कब्जे में किसी आग या ज्वलनशील पदार्थ के संबंध में जानबूझकर या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करने से चूक जाता है जिसके द्वारा उस खतरे से बचाव हो सकता था, तो इन दोनों ही स्थितियों में दोष साबित होने पर व्यक्ति को 6 महीने तक की जेल की सजा हो सकती है और एक हज़ार रुपये (1000) तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है या फिर दोनों दंड दिए जा सकते हैं.
धारा 286 के तहत, कोई व्यक्ति किसी विस्फोटक पदार्थ के साथ इस तरह के उतावलेपन या लापरवाही से कोई कार्य करता है जिससे मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है, या किसी व्यक्ति को चोट या क्षति लगने की संभावना हो सकती है, या अपने कब्जे में किसी विस्फोटक पदार्थ के संबंध में जानबूझकर या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करने से चूक जाता है जिसके द्वारा उस खतरे से बचाव हो सकता था, तो इन दोनों ही स्थितियों में दोष साबित होने पर व्यक्ति को 6 महीने तक की जेल या एक हज़ार रुपये (1000) तक का जुर्माना या दोनों की सज़ा दी जा सकती है.
धारा 287 के मुताबिक, जो कोई व्यक्ति किसी मशीनरी के साथ इस तरह के उतावलेपन या लापरवाही से कोई कार्य करता है जिससे मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है, या किसी व्यक्ति को चोट या क्षति लगने की संभावना हो सकती है, या अपने कब्जे में किसी मशीनरी (Machinery) के संबंध में जानबूझकर या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करने से चूक जाता है जिसके द्वारा उस खतरे से बचाव हो सकता था, तो इन दोनों ही स्थितियों में दोष साबित होने पर व्यक्ति को 6 महीने तक की जेल या एक हज़ार रुपये (1000) तक का जुर्माना या दोनों की सज़ा दी जा सकती है.
धारा 288 के अनुसार, जो कोई व्यक्ति किसी इमारत को गिराने या उनकी मरम्मत करने के संबंध में जानबूझकर या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करने से चूक जाता है जिसके द्वारा उस कार्य से मानव जीवन पर होने वाले खतरे से बचाव हो सकता था, तो इस परिस्थिति में दोष साबित होने पर व्यक्ति को 6 महीने तक की जेल या एक हज़ार रुपये (1000) तक के जुर्माने या दोनों की सज़ा दी जा सकती है.
धारा 289 के मुताबिक, जो कोई व्यक्ति अपने कब्जे में किसी पशु के संबंध में जानबूझकर या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करने से चूक जाता है जिसके द्वारा उस कार्य से मानव जीवन पर होने वाले खतरे से बचाव हो सकता था या ऐसे जानवर से गंभीर चोट लगने का कोई संभावित खतरा टल सकता था, तो इस परिस्थिति में दोष साबित होने पर व्यक्ति को 6 महीने तक की जेल या एक हज़ार रुपये (1000) तक के जुर्माने या दोनों की सज़ा दी जा सकती है.