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स्वतंत्र निदेशक की क्या भूमिका होती है किसी संस्थान में - जानिये कंपनी लॉ के अंतर्गत

किसी स्वतंत्र निदेशक की भले ही कंपनी के दैनिक कामों में कोई भागीदारी नहीं होती है लेकिन कंपनी के कई कामकाज के लिए वह जिम्मेदार होता है.

Independent Director

Written by My Lord Team |Published : June 4, 2023 10:17 AM IST

नई दिल्ली: किसी भी कंपनी में बहुत से पद होते हैं जैसे डायरेक्टर, सीईओं, मैनेजर, आदि जिनसे आप परिचित भी होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी कंपनी में एक स्वतंत्र निदेशक (Independent Director) कौन होता है और कैसे वो डारेक्टर हो कर भी कंपनी से अलग होता हो और कंपनी में उसकी क्या भूमिका होती, कंपनी एक्ट के तहत चलिए जानते हैं.

कौन होते हैं स्वतंत्र निदेशक

कंपनी अधिनियम (Companies Act), 2013 में स्वतंत्र निदेशक के बारे में बताया गया है. इस अधिनियम के धारा 149(6) के अनुसार किसी भी कंपनी में एक स्वतंत्र निदेशक वह व्यक्ति होता है, जिसका उस कंपनी से कोई आंतरिक संबंध नहीं होता, न तो कोई शेयर होता है, न ही उस कंपनी के साथ कोई आर्थिक संबंध होता है और न ही वह व्यक्ति उस कंपनी का निदेशक या प्रमोटर होता है.

किसी स्वतंत्र निदेशक की भले ही कंपनी के दैनिक कामों में कोई भागीदारी नहीं होती है लेकिन कंपनी के कई कामकाज के लिए वह जिम्मेदार होता है. यह एक तरह से एक सलाहकार की भूमिका निभाते हैं. इनका काम होता है यह देखना की कहीं कंपनी को गैरकानूनी काम ना करें.

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स्वतंत्र निदेशक की भूमिका

1. कॉर्पोरेट प्रशासन के गठन में अपना योगदान देना.

2. मैनेजमेंट के काम की समीक्षा करना.

3. मैनेजमेंट और शेयरहोल्डर्स के बीच विवाद को सुलह कराना.

4. विवरणों और डिस्क्लोजर की समीक्षा और निगरानी करना

5. अंतर कॉर्पोरेट ऋणों और निवेशों की जांच करना.

6. प्रबंधन और प्रमोटर-समूह के संचालन की निगरानी करना .

7. सभी हितधारकों के हितों की रक्षा करना

8. कंपनी के शीर्ष अधिकारियों और प्रबंधकों के लिए उचित पारिश्रमिक स्तर निर्धारित करना.

9. अनैतिक व्यवहार, धोखाधड़ी, या कंपनी की नीतियों के उल्लंघन की रिपोर्ट करना.

कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची 4 और धारा 149 के तहत स्वतंत्र निदेशक की आचार संहिता और उसके कर्तव्यों के बारे प्रावधान किया गया है.

कहा जा सकता है कि एक स्वतंत्र निदेशक किसी भी कंपनी को कानूनी और नैतिक तरीके से चलाने में अपना योगदान देता है. यह कॉरपोरेट गवर्नेंस में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

लेकिन कई बार स्वतंत्र निदेशक के कार्यो पर सवाल भी खड़े हुए हैं.

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सत्यम कांड में कई स्वतंत्र निदेशकों को कानूनी कार्रवाई को झेलना पड़ा था. जब यह घोटाला हुआ था तब ‘सत्यम कंप्यूटर्स’ भारतीय आईटी क्षेत्र में सबसे ऊपर था. उस समय यह भारत की चौथी सबसे बड़ी आईटी कंपनी में शामिल था.

इस मामले में सत्यम के सीईओ श्री रामलिंगम राजू ने धोखाधड़ी की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली थी और कहा था कि उन्होंने कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड और राजस्व (रेवेन्यू) को बढ़ा-चढ़ाकर बताया.

जानकारी के अनुसार कंपनी को निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए उन्होंने सभी वित्तीय आंकड़ों को अधिक बताया था. इस मामले की जांच में स्वतंत्र निदेशक भी सवालों के घेरे में आ गए थे. इसका कारण था कंपनी में चल रहे वित्तीय धोखाधड़ी का पता लगाने में उनकी लापरवाही. जिसके बाद कंपनी की देखभाल के लिए सरकार द्वारा एक नया बोर्ड गठित किया गया.