अनन्या श्रीवास्तव
अपमान लेख और अपमान वचन की परिभाषा और उनमें अंतर समझने से पहले जानते हैं कि जिस 'टॉर्ट लॉ' (Tort Law in India) के तहत इसका वर्णन है वो है क्या। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 'टॉर्ट' यानी 'अपकृत्य' वो कार्य है जिससे किसी को क्षति पहुंची हो आ फिर जिससे किसी का अपमान हुआ हो; 'अपकृत्य' गैर-संविदात्मक (Non-Contractual) और गैर-आपराधिक (Non Criminal) होता है।
भारतीय अपकृति विधि (Tort Law in India) के तहत मानहानि (Defamation) भी आती है। यदि कोई इंसान किसी की इज्जत को नुकसान पहुंचाता है या उसकी छवि को दूषित करने की कोशिश करता है, उसे मानहानि कहते हैं। मानहानि के जो दो प्रकार हैं, वो अपमान लेख (Slander) और अपमान वचन (Libel) हैं। इन दोनों शब्दों की परिभाषा क्या है और इनके बीच मूल अंतर क्या है, आइए जानते हैं
अपमान लेख यानी स्लैंडर (Slander) मानहानि का ही एक प्रकार है; बता दें कि जैसा इसका नाम है, यदि कोई आपकी मानहानि कर रहा है लेकिन वो लिखित रूप में की जा रही है, उसे 'अपमान लेख' कहते हैं।
यह वो स्थायी लेख है जिससे किसी भी शख्स की इज्जत, प्रतिष्ठा या मान-सम्मान को ठेस पहुंचे।
जिस तरह अपमान लेख लिखित रूप में की गई मानहानि को कहते हैं, उसी तरह 'अपमान वचन', जैसा इसका नाम है, मौखिक रूप से की गई मानहानि को कहा जाता है।
यदि कोई व्यक्ति एक दूसरे शख्स की प्रतिष्ठा, गरिमा और मान-सम्मान को अपने शब्दों या संकेतों के जरिए चोटिल करता है, उसे अपमान वचन या लिबेल (Libel) कहा जाता है।
इनके नामों आर परिभाषाओं से आप समझ गए होंगे कि अपमान वचन और अपमान लेख एक दूसरे के विलोम हैं; दोनों ही मानहानि के प्रकार हैं लेकिन एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं।
मूल अंतर तो यही है कि अपमान वचन मौखिक मानहानि है बल्कि अपमान लेख मानहानि का लिखित रूप है; अपमान वचन को आमतौर पर केवल अपकृत्य माना जाता है जबकि अपमान लेख अपकृत्य होने के साथ-साथ अपराध भी होता है। अपमान वचन जहां कानों को संबोधित किया जाता है, अपमान लेख आँखों को संबोधित होता है।
बता दें कि भारतीय अपकृत्य विधि के तहत अपमान वचन और अपमान लेख, दोंनो कार्रवाई के योग्य हैं और आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत, दोनों अपकृत्य आपराधिक अपराध (Criminal Offence) हैं।
आईपीसी की धारा 499 में लिखित और मौखिक रूप से किसी के किरदार पर कीचड़ उछालने को मानहानि कहा गया है और धारा 500 के तहत किसी भी प्रकार की मानहानि करने वाले को दो साल तक की जेल की सजा मिल सकती है, आर्थिक जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर उसे दोनों सजाएं भुगतनी पड़ सकती हैं।