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PESA Act क्या है? यह अधिनियम कब और किन राज्यों में लागू किया गया?

PESA Act का मुख्य उद्देश्य है ग्राम सभा को शक्तियां देकर जनजाति वर्ग को सशक्त बनाना. ग्राम सभा इन शक्तियों का इस्तेमाल आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले जनजातियों के विकास के लिए करें और उनके हक की रक्षा कर सकें.

Pic_Ministry of Tribal Affairs, Govt. of India- _Twitter

Written by My Lord Team |Published : June 20, 2023 2:16 PM IST

नई दिल्ली: हमारे देश में कई ऐसे राज्य है जहां भारी संख्या में आदिवासी समूह रहते हैं, जिन्हे कई तरह की समस्याएं आती हैं जैसे झूठ- फरेब कर उनकी जमीन पर कब्जा कर लेना, काम के नाम पर उनके साथ अपराध को अंजाम देना.  इन्ही परेशानियों से निजात दिलाने के लिए ही पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) (Panchayat’s provisions (extension to scheduled areas) Act - PESA) कानून को लाया गया. जानते हैं क्या है पेसा कानून और किन राज्यों में लागू किया गया है.

क्या है पेसा कानून

पेसा कानून के अंतर्गत आदिवासियों की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता दी गई. इस कानून को वर्ष 1996 में कुछ अपवादों एवं संशोधनों के साथ संविधान (Constitution) के भाग 9 (पंचायतों से संबंधित) के प्रावधानों (Provisions) को अनुसूचित क्षेत्रों (Scheduled areas) तक विस्तारित करने के लिए अधिनियमित किया गया था. संविधान के अनुच्छेद 243-243ZT के भाग 9 में नगर पालिकाओं और सहकारी समितियों से संबंधित प्रावधान हैं.

इस अधिनियम के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र वे हैं जिन्हें अनुच्छेद 244 (1) में संदर्भित किया गया है. जिसके अनुसार पांचवीं अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे.

पांचवीं अनुसूची इन क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधानों की श्रृंखला प्रदान करती है.

इन राज्यों में लागू PESA Act

जनवरी 2017 में गुजरात में पेसा नियमों को अधिसूचित किया गया और उन्हें राज्य के आठ ज़िलों के 50 आदिवासी तालुकों के 2,584 ग्राम पंचायतों के तहत 4,503 ग्राम सभाओं में लागू किया गया.

साल 2022 में भी मध्य प्रदेश में भी पेसा को लागू किया गया है. आदिवासी क्षेत्रों में जनजातियों को जमीन का अधिकार दिया गया. इस कानून के तहत ग्राम सभा की भी कई जिम्मेदारियां तय की गई. इसके अलावा जल का अधिकार, जंगल का अधिकार, श्रमिकों के अधिकारों के संरक्षण का अधिकार, परंपराओं को बचाने का अधिकार आदि को रखा गया था.

आपको बता दें कि दो राज्यों को मिलकर देश के दस राज्यों - गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना, ने पाँचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को अधिसूचित किया है जो इन राज्यों में से प्रत्येक में कई ज़िलों को (आंशिक या पूरी तरह से) को कवर करते हैं।

PESA Act का उद्देश्य

  • इसका मुख्य उद्देश्य है ग्राम सभा को शक्तियां देकर जनजाति वर्ग को सशक्त बनाना. ग्राम सभा इन शक्तियों का इस्तेमाल आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले जनजातियों के विकास के लिए करें और उनके हक की रक्षा कर सकें.
  • आदिवासी क्षेत्रों में जनजातियों के स्वशासन के अधिकारों का स्पष्टीकरण करना, जिनका उल्लंघन अथवा जिनमें हस्तक्षेप करने की ताकत राज्यों के पास भी न हो.
  • पारंपरिक परिपाटी (Traditional Practice) के अनुकूल अथवा उनसे तालमेल बिठाने में उपयुक्त प्रशासनिक ढांचा विकसित करना.
  •  ग्राम सभाओं (ग्राम विधानसभाओं) को सभी गतिविधियों का केंद्र बनाने का प्रयास करना. उच्च स्तर की पंचायतों को निचले स्तर की ग्राम सभा अथवा ग्राम विधानसभा की ताकत एवं उनके अधिकारों को छीनने से रोकना.
  • पेसा के नियमों में जल-जंगल-जमीन, श्रमिक और संस्कृति संरक्षण को भी शामिल किया गया.
  • ग्राम सभा की जिम्मेदारी होगी कि वह बाजार-मेलों का प्रबंधन करें साथ ही ग्राम विकास की कार्ययोजना तैयार करें.
  • जनजाति वर्ग के व्यक्ति की भूमि पर किसी गैर जनजाति व्यक्ति के द्वारा कब्जा किए जाने पर उसे खाली करा मूल व्यक्ति को दिलवाना.