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Money laundering क्या है और देश में इस अपराध की क्या है सजा

हमारे देश में अवैध रूप से पैसा कमाना अपराध है. ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर दोषी को भारी सजा दी जाती है.

Written by My Lord Team |Published : February 28, 2023 8:15 AM IST

नई दिल्ली: हमारे देश में धन शोधन (Money laundering) एक अपराध है जिसके लिए कानून भी बनाए गए हैं. आम बोलचाल की भाषा में धन शोधन का अर्थ है अवैध स्रोतों (Sources) से प्राप्त किए गए धन को वैध रूप से प्राप्त धन के रूप में बदलना. आसान भाषा में कहा जाए तो काले धन को सफेद धन में बदलना.

कोई भी व्यक्ति ऐसा इसलिए करता है ताकि वो जिस भी गलत स्रोत से धन कमा रहा है वह स्रोत सुरक्षित रहे और वह भारी मुनाफा कमाता रहे. इस तरह के मामले को पिछले कुछ सालों में बढ़ते हुए देखा गया है.

धन शोधन विरोधी कानून और विनियम

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) का अवलोकन: पीएमएल जनवरी 2003 को अधिनियमित किया गया था और साल 2005 में लागू किया गया था. अधिनियम मुख्य रूप से भारत में धन शोधन के अपराध को रोकना चाहता है और इसके तीन प्रमुख उद्देश्य है, यानि धन शोधन के अपराध को प्रतिबंधित और नियंत्रित करना, धन शोधन से प्राप्त अवैध धन से प्राप्त संपत्ति को जब्त करना और धन शोधन के अपराध से जुड़े अन्य सभी मुद्दों से निपटने और उनको विनियमित करने के लिए है.

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धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act) के अनुसार, धन शोधन को एक ऐसे काम के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, जाने या अनजाने में अपराध की आय से जुड़ी किसी गतिविधि में शामिल हो जाता है या किसी की सहायता करता है. जिसमें छुपाना, कब्ज़ा करना, प्राप्त करना, या उपयोग करना और दावा करना शामिल है. धन शोधन की यह परिभाषा पीएमएलए की धारा 3 में प्रदान की गई है.

दूसरे शब्दों में धन शोधन आपराधिक या अवैध गतिविधियों से अर्जित धन को सफेद धन में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है.

वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स

वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स एक निकाय है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण (financing) पर नजर रखता है. यह एक अंतर-सरकारी निकाय है जो उपयुक्त कारणों से संबंधित अवैध आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए मानक या नियम निर्धारित करता है. निकाय के सदस्य के रूप में लगभग 200 देश हैं.

धन शोधन निवारण (रिकॉर्ड का रखरखाव) नियम, 2005

ये नियम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) द्वारा प्रदत्त (कंफर) शक्तियों के प्रयोग में अधिनियमित किए गए थे.

इन नियमों को लागू करने का उद्देश्य है, लेनदेन की प्रकृति और मूल्य के रिकॉर्ड के रखरखाव, रखरखाव की प्रक्रिया और तरीके और जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय और बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और बिचौलियों के ग्राहकों की पहचान के रिकॉर्ड का सत्यापन प्रदान करना हैं.

विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974

इस अधिनियम को साल 1974 में देश के अंदर विदेशी मुद्रा को बनाए रखने के प्रयास के रूप में पारित किया गया था.

अधिनियम मुख्य रूप से निवारक (Preventive) हिरासत की अवधारणा के साथ अधिनियमित किया गया था. प्रासंगिक प्रावधान धारा 3 (कुछ व्यक्तियों को हिरासत में लेने के आदेश देने की शक्ति), धारा 4 (हिरासत के आदेशों का निष्पादन (एग्जिक्यूशन)), धारा 5 (हिरासत की जगह और शर्तों को विनियमित करने की शक्ति), और धारा 11 (हिरासत के आदेशों को रद्द करना) है.

बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988

अधिनियम के मुताबिक, एक बेनामी लेनदेन, एक ऐसे लेनदेन को दर्शाता है जिसमें एक व्यक्ति संपत्ति को दूसरे को स्थानांतरित करता है, जहां पक्षों या एक पक्ष की पहचान छुपाई जाती है. धन शोधन में शामिल अपराधी अक्सर अपनी पहचान और संपत्ति की खरीद में निवेश किए गए धन के स्रोतों को छिपाने के लिए ऐसे बेनामी लेनदेन में शामिल हो जाते हैं. अधिनियम की धारा 3 बेनामी लेनदेन को प्रतिबंधित करती है और उन्हें शून्य घोषित करती है.

ईडी और वित्तीय खुफिया इकाई

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की स्थापना साल 1956 में नई दिल्ली के मुख्यालय के रूप में की गई थी. ईडी, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) और पीएमएलए के कुछ प्रावधानों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है. यह धन शोधन के मामलों की जांच और पीएमएलए के तहत अभियोजन (प्रॉसिक्यूशन) से संबंधित काम करता है.

ईडी राजस्व विभाग (Revenue Department) के नियंत्रण में काम करता है. फेमा के नीतिगत पहलू, इसके कानून और इसके संशोधन आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs) के दायरे में आते हैं.

अपीलीय न्यायाधिकरण

पीएमएलए, की धारा 25 के के तहत, केंद्र सरकार द्वारा अपने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना करने का प्रावधान करता है.

अधिनियम की धारा 28 न्यायाधिकरण के लिए सदस्यों की नियुक्ति की योग्यता प्रदान करती है. इसमें अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य शामिल होते हैं. न्यायिक प्राधिकरण और अधिनियम के तहत स्थापित किसी भी अन्य प्राधिकरण के खिलाफ अपील सुनने के लिए न्यायाधिकरण का गठन किया गया है.

सजा का प्रावधान

अपराधियों के लिए धन शोधन का एक स्रोत कोई एक गैरकानूनी काम नहीं है लेकिन हमारे देश में धन शोधन से संबंधित अपराध से जुड़े सजा के बारे में पीएमएलए की धारा 4 में बताया गया है. जिसके अनुसार, दोषी को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है जिसकी अवधि सात साल बढ़ाई भी जा सकती है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

वहीं अगर कोई अपराधी धन शोधन किसी नशीली पदार्थों का धंधा करके कर रहा है तो अपराधी को स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act),1985 के तहत कठोर कारावास की सजा दी जा सकती है, जिसकी अवधि 7 साल के बजाय 10 साल तक बढ़ाई जा सकती है.

पीएमएलए की धारा 5 में यह बताया गया है कि अगर कोई धन शोधन में शामिल है तो उसकी संपत्ति की कुर्की किया जाएगा यह धारा प्रदान करती है कि निदेशक, संयुक्त निदेशक या उप निदेशक को 180 दिनों के लिए संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार है जो धन शोधन में शामिल है. बशर्ते कि अधिकारियों यह विश्वास करने का कारण हो कि ऐसा व्यक्ति आपराधिक कार्यवाही में शामिल है.

यह कुर्की आयकर अधिनियम, 1961 की दूसरी अनुसूची में निर्धारित तरीके से की जाती है. प्राधिकरण का मानना है कि कारण लिखित में होंगे, और इस तरह की कुर्की से संबंधित आदेश मुहरबंद होंगे. इस तरह की कुर्की के बाद 30 दिनों के भीतर न्यायिक प्राधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई जाएगी.

जब्त की गई संपत्ति केंद्र सरकार के अधीन हो जाएगी, जैसा कि पीएमएलए की धारा 9 के तहत प्रदान किया गया है. इस प्रकार, जब्ती के बाद, संपत्ति के सभी अधिकार और शीर्षक सरकार के होंगे.