नई दिल्ली: आम तौर पर उपद्रव को किसी व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति के शांतिपूर्ण आनंद या उससे जुड़े किसी भी अधिकार में गैरकानूनी हस्तक्षेप के रूप में परिभाषित किया जाता है. उपद्रव (Nuisances) मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, पहला सार्वजनिक उपद्रव (Public Nuisances) और दूसरा निजी उपद्रव (Private Nuisance).
सार्वजनिक उपद्रव के अंतर्गत ऐसी गतिविधियां आती हैं, जो किसी समुदाय के स्वास्थ्य, सुरक्षा या नैतिकता को प्रभावित करती हैं. सार्वजनिक उपद्रव से संबंधित कानूनी प्रावधान, भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में दिए गए हैं. इस संहिता की धारा 268 "सार्वजनिक उपद्रव" को परिभाषित करती है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 268 के मुताबिक, एक व्यक्ति सार्वजनिक उपद्रव का दोषी तब पाया जा सकता है:
- जब वह कोई ऐसा कार्य करता है या कोई ऐसा कार्य करने से चूक जाता है, जो जनता के लिए या आम तौर पर आस-पास रहने वाले लोगों के लिए किसी भी तरह की सामान्य चोट, खतरे या झुंझलाहट (Annoyance) का कारण बनती है; या
इस धारा में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक उपद्रव को केवल इसलिए माफ नहीं किया जाता है कि वह कोई सुविधा या लाभ का कारण बनी है.
संहिता की धारा 290 के तहत सार्वजनिक उपद्रव के अपराध के दोषी व्यक्ति को 200 रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है. हालांकि, धारा 291 के अंतर्गत दिया गया है कि यदि दोषी के खिलाफ निषेधाज्ञा (Injunction) का आदेश दिया गया है, और वह तब भी उपद्रव करना बंद नहीं करता है, तो उस व्यक्ति को 6 माह के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा दी जा सकती है.
गलियों में आतिशबाजी, विस्फोटकों को अपने कब्ज़े रखना, सड़कों पर गड्ढ़े खोदना, अवैध शराब के प्रतिष्ठान, जलधाराओं को प्रदूषित करना, राजमार्गों पर यातायात में बाधा डालना, जैसे कृत्यों को आम तौर पर सार्वजनिक उपद्रव के दायरे में लाया जाता है और सख्त कार्यवाही की जाती है.
क्या व्यक्तिगत तौर पर दायर किया जा सकता है मुकदमा
हम आपको यह भी बता दें कि एकाधिक कार्यवाहियों (Multiple Proceedings) से बचने के लिए, एक सार्वजनिक उपद्रव को व्यक्तिगत अधिकारों से अलग रखा गया है. यानि कोई व्यक्ति, उपद्रव से हुए नुकसान के लिए निजी तौर पर कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता है.
हालांकि, एक व्यक्ति व्यक्तिगत तौर मुकदमा तब ही कर सकता है, जब वह निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता है:
1. व्यक्ति को सबसे पहले यह दिखाना होगा कि उसे जो चोट/क्षति पहुंची है, वह बाकी जनता की तुलना में काफी अधिक है; और
2. उन्हें जिस चोट का सामना करना पड़ा है, वह उनके खिलाफ प्रत्यक्ष रूप से की गई थी, न कि केवल सार्वजनिक उपद्रव परिणाम थी.