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क्या है Law of Adverse Possession? जानिये विधि आयोग ने इस पर क्या कहा है

'लॉ ऑफ एडवर्स पोजेशन' देश या सरकार नहीं बल्कि जनता के हित के लिए है: विधि आयोग। आखिर यह 'लॉ ऑफ एडवर्स पोजेशन' क्या है, आइए जानते हैं

Law of Adverse Possession Definition Meaning and comment by Law Commission of India

Written by My Lord Team |Published : June 5, 2023 9:37 AM IST

नई दिल्ली: भारत के विधि आयोग (Law Commission of India) ने हाल ही में अपनी 280वीं रिपोर्ट तैयार की है जो 'प्रतिकूल कब्जे के कानून' (The Law of Adverse Possession) पर है। रिपोर्ट में उन्होंने इस कानून के बारे में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। क्या है यह कानून और इसके बारे में विधि आयोग ने क्या कहा है, आइए जानते हैं.

'प्रतिकूल कब्जे का कानून'?

'प्रतिकूल कब्जे का कानून' यानी 'द लॉ ऑफ एडवर्स पोजेशन' (The Law of Adverse Possession) एक कानूनी अवधारणा है जिसके तहत अगर किसी शख्स का एक निजी जमीन पर 12 साल या फिर एक सरकारी जमीन पर 30 साल से अधिकार है लेकिन वो उसका मालिक नहीं है, तो इस अवधि के बाद वो उस जमीन का मालिक हो जाएगा।

यह एक ऐसा कानून है जो एक मालिक से ज्यादा हक किराएदार को देता है।

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परिसीमा अधिनियम, 1963 (The Limitations Act, 1963) के अनुच्छेद 65 की अनुसूची I (Article 65, Schedule 1) में 'प्रतिकूल कब्जे' का कानून निहित है।

इसके तहत अचल संपत्ति के कब्जे हेतु एक वाद के लिए 12 साल की सीमा निर्धारित की गई है; अनुच्छेद 65 एक स्वतंत्र अनुच्छेद है जो अचल संपत्ति के कब्जे के लिए, टाइटल के आधार पर हर तरह के मुकदमों पर लागू होता है।

यह स्वामित्व टाइटल के आधार पर काम करता है, मालिकाना टाइटल के आधार पर नहीं।

'प्रतिकूल कब्जे के कानून' पर विधि आयोग ने क्या कहा

भारत के विधि आयोग के अध्यक्ष, जस्टिस ऋतु राज अवस्थी (Justice Ritu Raj Awasthi) ने 'लॉ ऑफ ऐडवर्स पोजेशन' पर अपने सप्लिमेंट्री नोट में यह लिखा है कि प्रतिकूल कब्जे का कानून देश या सरकार के फायदे के लिए नहीं बल्कि देश के नागरिकों के फायदे के लिए है। यही वजह है कि इस कानून को 'औपनिवेशिक' (Colonial) नहीं कहा जा सकता है।

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि केंद्र सरकार को इस कानून के प्रावधानों पर एक नए तरीके से नजर डालने की जरूरत है और इसमें बदलाव करने की भी आवश्यकता है।

इस बात का खंडन करते हुए विधि आयोग का यह कहना था कि लॉ ऑफ एडवर्स पोजेशन पर पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है।

उनका यह कहना है कि सरकारी जमीन के लिए अगर 'प्रतिकूल कब्जे का कानून' हटा दिया जाएगा तो देश में स्थिति बहुत अस्तव्यस्त हो सकती है और इससे लोगों में अस्थिरता देखी जा सकत है।