अदालत के समक्ष अपने कथन की सत्यता को साबित करने के लिए एक शपथपत्र देना होता है. हमारे समाज में यह माना जाता है कि जो बातें आप प्रतिज्ञा लेकर कह रहे हैं वह सच होगा. शपथपत्र (Affidavit) एक तरह की प्रतिज्ञा है, जिसमें आप लिखित में किसी तथ्य या कथन को शपथ या प्रतिज्ञा लेकर कहते है. आइये जानते हैं इसके विषय में विस्तार से -
जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी काम को करने या न करने की लिखित रूप में खुद से ली गई तथ्यात्मक घोषणा को affidavit (शपथ-पत्र) कहते हैं; Affidavit को शपथ-पत्र या हलफनामा भी कहते हैं. यह घोषणा किसी ऐसे व्यक्ति के समक्ष ली जाती है जो विधि द्वारा उसके लिए अधिकृत हो, जैसे कि कोई नोटरी पब्लिक या ओथ कमिश्नर. एक हलफनामा तथ्यों का एक लिखित बयान होता है जिसे शपथ के तहत शपथ दिलाई जाती है या पुष्टि की जाती है और सहयोगी (बयान देने वाला व्यक्ति) द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है. हलफ़नामे का उपयोग अक्सर अदालती कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में किया जाता है, और वे कानूनी महत्व रखते हैं क्योंकि वे पेश की गई सभी जानकारी की सत्यता की पुष्टि करते हैं.
Affidavit (शपथ-पत्र) में शपथकर्ता शपथ लेकर बयान देता है कि वह जो कुछ भी कह रहा है या जानकारी दे रहा है वह सच है. इसके बाद वह अपने हस्ताक्षर (signature) करता है और फिर उस बयान को ओथ (Oath) कमिश्नर या नोटरी पब्लिक अधिकारी द्वारा अटेस्ट (वो अपना हस्ताक्षर और एक मोहर लगायेगा) किया जाता है.
ऐफिडेविट का इस्तेमाल कोर्ट में भी हो सकता है और अर्द्धन्यायिक संस्था (quasi judicial institution) में भी. जन्म प्रमाणपत्र बनवाने, शादी रजिस्ट्रेशन आदि के लिए ऐफिडेविट संबंधित प्राधिकारी के सामने देना होता है, लेकिन यदि बयान गलत है या जानबूझकर गलत बयान दिया गया है तो दावा रद्द हो जाता है.
जब कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठा बयान देता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. शपथ-पत्र के बारे में यह माना जाता है कि वह पूरी तरह सही है, परंतु कोई व्यक्ति किसी और के बदले में शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर करता है और उसका गलत इस्तेमाल करता है, तो ऐसा करने वाले शख्स के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-419 (पहचान बदलकर धोखा देना) का मुकदमा बन सकता है. धारा 419 मे यह कहा गया है कि जो कोई प्रतिरूपण (impersonation) द्वारा छल करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा.
ओथ एक्ट 1969 (Oath Act 1969) के तहत यह निर्धारित किया गया है कि जो भी बयान शपथ-पत्र में दिया गया है, वह सच है. और यदि किसी व्यक्ति द्वारा गलत शपथ-पत्र अदालती कार्रवाई के दौरान पेश किया जाता है, तो अदालत ऐसे व्यक्ति के खिलाफ अदालत में झूठा सबूत/बयान पेश करने के मामले में मुकदमा चलाने का आदेश दे सकती है.
हर एक राज्य का अपना एक stamp duty act होता है इस कारण सभी राज्यों में एक समान स्टांप फीस नहीं होती है. सामान्यतः 10 रुपये से 100 रुपए के स्टांप पेपर पर ऐफिडेविट तैयार होता है. इसका मतलब संबंधित प्राधिकार की डिमांड के हिसाब से ऐफिडेविट के लिए स्टांप पेपर का इस्तेमाल किया जाता है.
Affidavit की भाषा अंग्रेजी, हिन्दी या अपने राज्य के भाषा में बनवाया जा सकता है, परंतु हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में शपत पत्र सामान्यतः अंग्रेजी (English) में ही दिया जाता है.
सबसे पहले यह पता करें कि क्या हलफनामा प्रस्तुत करने की कोई आवश्यकता है. क्या कोर्ट फीस की उचित राशि की पुष्टि की जानी चाहिए? हर एक बिंदु की शपथ लेने की विषय वस्तु को अलग-अलग पैरा में स्पष्ट रूप से लाया जाना चाहिए. हलफनामे की सामग्री के सत्यापन को निर्धारित तरीके से ठीक से सत्यापित किया जाना चाहिए. शपथ पत्र का सत्यापन या तो शपथ आयुक्त द्वारा या नोटरी द्वारा किया जाना चाहिए.