अनन्या श्रीवास्तव
भारतीय संविधान के तहत, देश में इमरजेंसी या आपातकाल की स्थिति तब आती है जब या तो सरकार को देश के अंतर्गत विद्रोह, बाहरी आक्रमण या फिर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। आपातकाल की स्थिति में केंद्र उन सभी प्राधिकरणों पर अधिकार मिल जाता है जो देश के लिए निर्णय लेने के लिए सशक्त होते हैं।
केंद्र सरकार ही आपातकालीन स्थिति से देश को बाहर निकालने की ओर काम करता है। वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) क्या है, और किन परिस्थितियों में पैदा होता है इसके बारे में देश का संविधान क्या कहता है, साथ ही देश में कब-कब वित्तीय आपातकाल की स्थितियाँ पैदा हुई, आइए जानते हैं.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360(1) के तहत, अगर राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि देश की वित्तीय स्थिरता या देश के क्रेडिट को खतरा है, तो वो वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 360(2) के तहत राष्ट्रपति की इस वित्तीय आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखना होगा और उनकी स्वीकृति जरूरी है। वित्तीय आपातकाल के जारी किये जाने के दो महीने के अंदर अगर इसे संसद के दोनों सदन मंजूरी दे देते हैं, तो इसे तब तक जारी रखा जा सकता है, जब तक इसे निरस्त नहीं किया जाता है।
देश में यदि वित्तीय आपातकाल घोषित हो जाता है, तो उससे केंद्र को यह शक्ति मिलती है कि वो राज्यों को अपनी योजनाओं के आधार पर वित्तीय आदेश दें। देश के राष्ट्रपति ऐसे हालात में राज्यों को सरकारी अधिकारियों के वेतन (Salary) और भत्ते (Allowances) को सीमित करने का आदेश दे सकते हैं.
राष्ट्रपति विधान सभा से आने वाले मनी बिल और दूसरे वित्तीय विधेयक (Bills) को रिजर्व कर सकते हैं और वो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज समेत अन्य केंद्र सरकार के अधिकारियों के वेतन और भत्ते को भी कम कर सकते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में अब तक कभी भी वित्तीय आपातकाल लागू नहीं किया गया है। देश में दो ऐसी स्थितियां आई हैं जिनके दौरान ऐसा लग रहा था कि वित्तीय आपातकाल लगाने की जरूरत पड़ सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
पहली, 1991 का भारतीय आर्थिक संकट (The Indian Economic Crisis, 1991) है जिसमें भारत की अर्थव्यवस्था का हाल बहुत खराब था। इस दौरान रुपये की कीमत लगातार गिरती जा रही थी और एक्सचेंज रेट पर भी इसका असर साफ नजर आ रहा था। ऐसे समय में भी भारत ने खुद को संभाला और वित्तीय आपातकाल से देश को बचा लिया।
दूसरी स्थिति वैश्विक बीमारी कोविड19 का समय था जब लॉकडाउन के चलते ऐसा लग रहा था कि देश में वित्तीय आपातकाल घोषित कर दिया जाना चाहिए; इसके लिए सेंटर फोर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमैटिक चेंज (CASC) ने जनहित याचिका भी दायर की थी। CASC का कहना था कि देश में वित्तीय आपातकाल घोषित किया जाना चाहिए लेकिन इस याचिका को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
बुरी से बुरी स्थितियों में देश ने खुद को संभाला है और इसलिए आज तक भारत में कभी भी वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं किया गया है।