नई दिल्ली: हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना घर हो जहां वह शांति और खुशी से रह सके. लेकिन घर खरीदते समय आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. जैसे कि घर खरीदने में कई कानूनी दायित्व शामिल होते हैं जिन्हें पूरा करने की आवश्यकता होती है और उनमें से एक बिल्डर खरीदार एग्रीमेंट होता है.
खरीदार और बिल्डर के बीच बिल्डर खरीदार एग्रीमेंट (Builder Buyer Agreement) एक ऐसी ही प्रक्रिया है। यह एकमात्र दस्तावेज है जो खरीदार के अधिकारों की रक्षा करता है और इसलिए लोगों को हर चीज के बारे में स्पष्ट होने के साथ इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए. यह किसी भी घर खरीदार के लिए सबसे महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेजों में से एक है.
यद्यपि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (RERA), 2016 में पारित किया गया था, प्रत्येक बिल्डर खरीदार एग्रीमेंट का समझौते करते समय इस अधनियम के नियमों और विनियमों का पालन करना अनिवार्य हो गया है.
रियल एस्टेट कानून ने बिल्डर-खरीदार समझौतों में बिल्डरों के पक्ष में काणूं के मुद्दे को हल करने की कोशिश की है. RERA 2016 ने बिल्डर-खरीदार समझौते के मामले में जमीनी नियम बनाकर इसका समाधान किया है, जो यह है:
RERA से पहले बिल्डर खरीदार एग्रीमेंट में दिक्कतें आती थीं, पहले एग्रीमेंट में कहा गया था कि निर्माण शुरू होने की तारीख से 36-42 महीने में प्रॉपर्टी का कब्ज़ा शुरू हो जाएगा लेकिन दस्तावेज़ में यह कहीं भी नहीं लिखा था कि फ्लैट की बुकिंग की तारीख से यह अवधि शुरू होगी.
जबकि बिल्डर प्रॉपर्टी कीमत मन-चाहे बढ़ा सकते थे, संपत्ति के क्षेत्र में परिवर्तन की भी अनुमति दी, जबकि हस्तांतरण शुल्क का भी कोई उल्लेख नहीं था, जो तब लागू होता है जब मालिक ने संपत्ति का कब्जा लिए बिना संपत्ति को किसी और को बेच दिया.
समझौते में सबसे पहले उस शहर का उल्लेख होता है जहां समझौता किया गया है और किस तारीख को किया गया है और हस्ताक्षर किए गए हैं. इसके बाद, समझौते में उस बिल्डर या डेवलपर के बारे में जानकारी होना चाहिए जो संपत्ति बेचना चाहता है और साथ ही में ऐसी संपत्ति का पता भी होना चाहिए.
जबकि अनुबंध में क्रेता का विवरण और उनका पता, नाम तथा यदि एक से अधिक क्रेता हैं तो सभी क्रेताओं का विवरण एग्रीमेंट में अंकित होना चाहिए.
जबकि बिल्डर खरीदार एग्रीमेंट में में निम्नलिखित विवरण भी शामिल होने चाहिए, जैसे -