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धर्मांतरण रोकथाम कानून 'संंशोधन' यूपी विधानसभा से हुआ पारित, PMLA जैसे दोहरी जमानत शर्तों के प्रावधान, सजा और भी कठोर हुआ

उत्तर प्रदेश विधानसभा में गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 (संशोधन) को सदन में पारित किया गया है. साल 2021 से लागू हुए इस कानून के संशोधन में शिकायज दर्ज कराने के अधिकार को व्यापक किया गया है. पहले इस कानून में केवल पीड़ित या पीड़ित के परिजन ही शिकायत दर्ज करा सकते थे, अब कोई भी व्यक्ति इसकी शिकायत दर्ज करा सकता है.

Anti Conversion Law संशोधन यूपी विधानसभा से पारित

Written by Satyam Kumar |Published : July 31, 2024 4:01 PM IST

Uttar Pradesh Prohibition Of Unlawful Conversion Of Religion Ordinance:  हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा में गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 (संशोधन) को सदन में पारित किया गया है. साल 2021 से लागू हुए इस कानून के संशोधन में शिकायज दर्ज कराने के अधिकार को व्यापक किया गया है. पहले इस कानून में केवल पीड़ित या पीड़ित के परिजन ही शिकायत दर्ज करा सकते थे, अब कोई भी व्यक्ति इसकी शिकायत दर्ज करा सकता है. गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम में जमानत की दोहरी शर्ते लागू की गई हैं जो PMLA कानून के तहत हैं, वहीं, सजा के प्रावधान को व्यापक बनाते हुए इसमें आजीवन कारावास की सजा को शामिल किया गया है.

FIR, धर्मातरण कानून में और क्या संशोधन हुए

धर्मांतरण संशोधन कानून में अब 'किसी भी पीड़ित व्यक्ति' को 'किसी भी व्यक्ति' में परिवर्तित किया गया है. इसमें पहले केवल पीड़ित व्यक्ति द्वारा शिकायत दर्ज कराने का प्रावधान था जिसे संशोधन में बदल दिया गया है. कानून को नए अपराधिक कानून में जीरो एफआईआर के प्रावधानों के समान किया गया है. BNSS की धारा 173(1) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति, पुलिस स्टेशन की सीमा क्षेत्र की परवाह किए बिना, किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है.  वहीं धर्मातरण संशोधन कानून में, विशेष तौर पर एससी, एसटी, मानसिक व शारीरिक रूप से असक्षम महिलाओं के लिए अलग से प्रावधान किए गए हैं.

गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम  की धारा 3 में "बल, प्रभाव, दबाव, किसी भी धोखाधड़ी के माध्यम से" धर्म परिवर्तन, "विवाह या विवाह की प्रकृति में संबंध द्वारा धर्म परिवर्तन" या उपरोक्त अवैध तरीकों से धर्म परिवर्तन को अवैध घोषित किया है. कानून इस तरीके से कराए गए धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने की बात कहती हैं.

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PMLA जैसी दोहरी शर्त पूरा करने पर ही धर्मांतरण कानून में मिलेगी जमानत

मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जमानत की दोहरी शर्त होती है, जैसे कि जज को लगे कि आरोपी ने ये कृत्य नहीं किया है, दूसरा जमानत देने पर इन अपराधों में शामिल नहीं होगा. धर्मांतरण कानून में भी आरोपियों को जमानत के लिए दोहरी शर्त पूरी करनी पड़ेगी.

पहला- पब्लिक प्रोसीक्यूटर को जमानत का विरोध करने का मौका दिया जाएगा

दूसरा- अदालत को इस बात से संतुष्ट होना पड़ेगा कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि आरोपी अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके द्वारा कोई अपराध नहीं किया जा सकता है.

धर्मातरण कानून में सजा और भी कठोर हुआ

धर्मांतरण रोकथाम अधिनियम में सजा के प्रावधानों को पहले से काफी कठोर और जुर्माने की राशि को काफी बढ़ा दिया गया है. जहां धर्मातरण निषेध कानून में पहले दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अधिकतम दस साल जेल की सजा और 50,000 रूपये जुर्माने का प्रावधान था.

गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम संशोधन में दिए गए सजा के प्रावधान इस प्रकार से हैं;

  • धर्मातरण कराने के मामले में पहली बार दोषी पाए जाने पर 1-5 साल जेल की सजा और कम से कम 15,000 रुपये का जुर्माने का प्रावधान हैं.
  • यदि पीड़ित नाबालिग, महिला या एससी या एसटी समुदाय से संबंधित व्यक्ति है तो दोषी को 2-10 साल जेल की सजा और कम से कम 20,000 रुपये का जुर्माना होगा.
  • सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में दोषी पाए जाने पर आरोपी को 3-10 साल जेल और कम से कम 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
  • यदि पीड़ित नाबालिग, महिला, एससी या एसटी समुदाय से है और शारीरिक तौर पर विकलांग है या मानसिक रूप से बीमार है तो दोषी पाए जाने पर आरोपी को 5-14 वर्ष का कारावास और कम से कम 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगेगा.
  • सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में दोषी पाए जाने पर 7-14 वर्ष का कारावास और कम से कम 1,00,000 रुपये का जुर्माना.

विदेशों से धर्म परिवर्तन कराने के मसले को भी कानून के दायरे में लाया गया है. अगर कोई संस्था या व्यक्ति विदेश से धन प्राप्त कराकर धर्म परिवर्तन के कार्यों में संलिप्त हैं तो दोष सिद्ध होने की स्थिति में व्यक्ति पर दस लाख का जुर्माना और आजीवन कारावास की सजा के प्रावधान हैं.

उत्तर प्रदेश जैसे ही धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम मध्य प्रदेश, गुजरात में लागू है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या इन राज्यों में भी यूपी राज्य जैसे कानून में संशोधन किए जाते हैं.