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Genral Election: जेल में बंद कैदी दे सकते हैं वोट! जानिए क्या कहता है कानून

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 62(5) के तहत, पुलिस की कानूनी हिरासत में और कारावास की सजा काटने वाले व्यक्ति वोट नहीं डाले सकते. आइये जानते हैं कैदियों को चुनावी मामले में क्या-क्या अधिकार मिले हैं..

Written by My Lord Team |Published : March 29, 2024 4:12 PM IST

Genral Election: जहां एक ओर 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव शुरू होना है. वहीं दूसरी तरफ शराब घोटाला मामले में ED ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. वो 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में रहेंगे. हिरासत अवधि बढ़ेगी या नहीं, ये तो बाद में पता चलेगा. इस बीच ये जानना जरूरी है, क्या जेल में बंद व्यक्ति मतदान कर सकता है? क्या कैदी चुनाव भी लड़ सकता है? आइये जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब इस लेख में...

हमारे देश में वोट कौन कर सकता है?

  • देश का हर नागरिक जो 18 वर्ष का हो,
  • उस व्यक्ति का निवास स्थान पर ही वोटर के तौर पर नामांकन हो,
  • वोटिंग का अधिकार एक जगह का ही होगा,
  • पासपोर्ट में दिए गए पते के आधार पर प्रवासी भारतीय को सामान्य रूप से निवासी माना जाता है और उनका वोटिंग अधिकार होता है.

क्या जेल में बंद व्यक्ति वोट डाल सकता है?

जेल में बंद व्यक्ति मतदान नहीं कर सकता. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 62(5) के तहत, पुलिस की कानूनी हिरासत में और कारावास की सजा काटने वाले व्यक्ति वोट नहीं डाले सकते.

दूसरे देशों में कैदी को वोट दे सकते हैं वोट!

कुछ देश हैं. जैसे- इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, रूस जैसे देशो में कैदियों को मतदान की इजाजत नहीं है, वहीं स्पेन, स्वीडन, स्विटजरलैंड और फिनलैंड में कैदियो को वोट देने की आजादी है. इटली और ग्रीस जैसे देशो में आजीवन कारावास काट रहे कैदियों को छोड़कर सभी कैदियों को वोट देने का अधिकार प्राप्त हैं.

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क्या जेल में बंद व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार है?

हमारे देश में एक कैदी चुनाव लड़ सकता है, लेकिन वोट नहीं डाल सकता. कुछ उदाहरण भी हैं. जैसे – अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन ओम प्रकाश श्रीवास्तव ‘बबलू’ 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ा था. उस समय वो सलाखों के पीछे था. सीतापुर से अपना दल के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहा बबलू बरेली के सेंट्रल जेल में बंद था. कोर्ट से अनुमति के बाद बबलू ने सीतापुर आकर नामांकन किया था. इस चुनाव में बबलू हार गया था. आपको बता दें, अब हमारे देश की जेलों में बंद कैदियों को मतदान का अधिकार देने की मांग उठने लगी है. इसे लेकर पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट में PIL भी दायर की गई है. इस पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.