नई दिल्ली: Indian Railways आम आदमी के लिए एक सुविधाजनक और किफायती सफर का माध्यम है. रोज लाखों लोग रेल से सफर करते हैं और कितने ही लोग दुर्घटना का भी शिकार हो जाते हैं लेकिंग क्या भारतीय रेलवे ऐसे अनपेक्षित घटना या दुर्घटना में पीड़ित या उसके परिवार को कोई मुआवजा देती है? तो आपको बता दें कि अनपेक्षित घटना के मामले में रेलवे अधिनियम के तहत पीड़ित या उसका परिवार मुआवजे का हकदार होता है, जिसमें कुछ अपवाद भी शामिल हैं.
2018 में ऐसा ही एक मामला हुआ. 14 मई 2018 को रविंद्र मेश्राम, कामाख्या एक्सप्रेस ट्रेन से गोंदिया से कामठी जा रहा था. ट्रेन की जनरल बोगी में भीड़ अधिक होने के कारण वह दरवाजे के पास खड़ा हो कर यात्रा कर रहा था कि सफर के दौरान अचानक उसका संतुलन बिगड़ गया और वह ट्रेन से गिर पड़ा. रविंद्र की मौके पर ही मृत्यु हो गई. मृतक की मां ने मुआवजे की मांग की, जिस पर ट्रिब्यूनल ने आत्महत्या बता कर मुआवजे से इंकार कर दिया.
हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि रविंद्र वैध यात्री था और रेलवे ने आत्महत्या का कोई भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है. खंडपीठ ने रविंद्र के परिवार को रेलवे से मुआवजे का हकदार बताया.
इस घटना के मद्देनजर, आइए जानते हैं कि रेलवे अधिनियम, 1989 (Railway Act, 1989) के तहत क्या हैं मुआवजे के प्रावधान.
रेलवे अधिनियम, 1989 का 'अध्याय 13', 'दुर्घटना के कारण रेल यात्रियों की मृत्यु और क्षति के लिए रेल प्रशासन के दायित्व' के विषय में बताता है. इस अध्याय की धारा 123, अनपेक्षित घटना को परिभाषित करती है. रेल प्रशासन को केवल उन्हीं मामलों में मुआवजा देने के लिया बाध्य किया जा सकता है जहाँ दुर्घटनाओं की प्रकृति धारा 124 में वर्णित परिस्थितियों के समान हो या 'धारा 123 (C)(1) और (2) में उल्लिखित 'अनपेक्षित घटना' (Untoward Incident) हो.
रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 123 (C) "अनपेक्षित या अप्रिय घटना" को परिभाषित करता है. इसके अनुसार अनपेक्षित या अप्रिय घटना का अर्थ है -
(1) यात्रियों को ले जाती हुई किसी रेलगाड़ी पर या उसके प्रतीक्षालय, अमानती सामान घर या आरक्षण अथवा टिकट घर या प्लेटफार्म या किसी अन्य स्थल जो रेलवे स्टेशन के परिसर के भीतर है, उसमें की गयी कोई "अनपेक्षित घटना", यानी-
(i) आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1987 (1987 का 28) की धारा 3 की उप-धारा (1) के अर्थ के भीतर एक आतंकवादी कार्य करना; या
(ii) हिंसक हमला करना या डकैती या लूटपाट करना; या
(iii) एक रेलवे स्टेशन संबंधित जगहों पर या ट्रेन में किसी व्यक्ति द्वारा दंगा, गोलीबारी या आगजनी में शामिल होना; या
(2) यात्रियों को ले जा रही ट्रेन से किसी यात्री का दुर्घटनावश गिर जाना.
रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 124A के तहत उन दुर्घटनाओं के विषय में बताया गया है, जिसके घटने पर रेल प्रशासन मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा और किन परिस्थितियों में पीड़ित भुगतान का हकदार नहीं माना जाएगा.
124A किसी "अनपेक्षित घटना"(अप्रिय घटना ) के कारण नुकसान का भुगतान (मुआवजा)-
जब रेलवे के संचालन के दौरान कोई अप्रिय घटना होती है तो रेल प्रशासन की ओर से कोई गलत कार्य, उपेक्षा या चूक हुई है या नहीं, तो ऐसी अप्रिय घटना के परिणामस्वरूप किसी यात्री की मृत्यु, या उसे चोट लगने पर, रेल प्रशासन, किसी भी अन्य कानून में निहित कुछ भी होने के बावजूद, मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा, जो निर्धारित किया जा सकता है और केवल उस सीमा तक नुकसान के लिए उत्तरदायी होगा.
उदाहरण के लिए, एक यात्री जो घायल हो गया है या एक यात्री जो एक कार्रवाई को बनाए रखने और उसके संबंध में नुकसान की वसूली के लिए मारा गया है.
इस धारा के तहत रेल प्रशासन द्वारा कोई मुआवजा देय नहीं होगा यदि यात्री की मृत्यु या चोट लगने के कारण निम्नलिखित हो-
(a) आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास;
(b) स्व-चोट लगी हुई चोट;
(c) स्वयं किया गया कोई आपराधिक कृत्य;
(d) नशे या पागलपन की स्थिति में किये गए किसी कार्य से हुई मृत्यु, या उसे चोट लगना;
(e) किसी भी प्राकृतिक कारण या बीमारी या चिकित्सा या शल्य चिकित्सा उपचार जब तक कि उक्त अप्रिय घटना के कारण चोट के कारण ऐसा उपचार आवश्यक न हो.
इस खंड के प्रयोजनों के लिए, "यात्री" में- ड्यूटी पर तैनात कोई रेल सेवक और एक व्यक्ति जिसने यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेन से यात्रा करने के लिए किसी भी तारीख को वैध टिकट या वैध प्लेटफॉर्म टिकट खरीदा है, जो किसी अप्रिय घटना का शिकार हो जाता है, वो भी शामिल हैं.