Human Trafficking: मानव तस्करी को 'संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय' (United Nations Office for Drugs and Crime) द्वारा सरकारी प्रोटोकॉल के तहत परिभाषित किया गया है, अपने लाभ के लिए, शोषण करने के उद्देश्य से बल, धोखाधड़ी या धोखे के माध्यम से लोगों की भर्ती, परिवहन, स्थानांतरण, आश्रय या प्राप्ति को मानव तस्करी कहा जाता है.
क्या भारत में मानव तस्करी के मामले देखने को मिलते हैं? देश में इस गंभीर अपराध के खिलाफ किस तरह के कानून तैयार किए गए हैं, और अपराधियों को क्या सजा दी जाती है. आइए सब कुछ जानते हैं....
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पश्चिम बंगाल का एक मामला सामने आया है जिसमें एक दंपत्ति ने अपने आठ महीने के बच्चे को इसलिए बेच दिया क्योंकि वो सोशल मीडिया पर रील्स बनाने के लिए iPhone 14 खरीदना चाहते थे. बच्चे की मां को गिरफ्तार किया जा चुका है लेकिन पिता फिलहाल फरार हैं.
बता दें कि मां ने यह बात कुबूल की है कि वो बच्चे को बेचने से मिले पैसे के साथ अलग-अलग जगहों पर घूमना चाहते थे, और रील्स बनाना चाहते थे. उन लोगों को भी ढूंढा जा रहा है जिन्होंने इस बच्चे को खरीदा है क्योंकि क्योंकि कानून की नजरों में उन लोगो का कृत्य भी अवैध है. यह बात सामने आई जब आरोपियों के घर पर पड़ोसियों को बच्चा नहीं नजर आया और उन्होंने इस बारे में पुलिस से शिकायत की.
मानव तस्करी के खिलाफ भारत में सख्त कानून बनाए गए हैं. आपको बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 (Article 23 of The Indian Constitution) में मानव तस्करी करने वालों के लिए अपराध की बात की गई है.
इस अनुच्छेद के तहत मानव तस्करी, भीख और इसी तरह के अन्य जबरन श्रम निषिद्ध हैं और इस प्रावधान का कोई भी उल्लंघन कानून के अनुसार दंडनीय अपराध होगा.
'आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013' (Criminal Law (Amendment) Act, 2013) के तहत आईपीसी की धारा 370 को धारा 370 और 370A से प्रतिस्थापित कर दिया गया है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 370 (Section 370 of The Indian Penal Code) 'लोगों की तस्करी' (Trafficking of Persons) को लेकर है। इस धारा के तहत अगर शोषण के लिए किसी व्यक्ति को रिक्रूट, ट्रांसपोर्ट, हार्बर, ट्रांसफर या रिसीव किया जाता है, और इसके लिए धमकी, बल या जबरदस्ती, अपहरण, धोखाधड़ी, सत्ता का द्रुपयोग या आर्थिक बल का इस्तेमाल किया जाता है तो इसे मानव तस्करी माना जाएगा.
इस धारा के तहत दोषी को कम से कम सात साल की जेल की सजा सुनाई जाएगी जिसकी अवधि बढ़कर दस साल तक जा सकी है और उसपर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा. अगर एक ज्यादा लोगों की तस्करी करते हुए कोई पकड़ा जाता है तो उसे कम से कम दस साल की सजा सनई जाएगी जो आजीवन कारावास भी हो सकती है और उसे आर्थिक जुर्माना भी देना होगा.
अगर दोषी ने एक नाबालिग की तस्करी की है तो उसे कम से कम चौदह साल की जेल की सजा सुनाई जाएगी जो आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है और उसपर जुर्माना भी लगेगा. एक से ज्यादा नबलिगों की तस्करी करने वाले को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाएगी जो दोषी को अपने शेष जीवन के लिए भुगतनी पड़ेगी, और उसे जुर्माना भी देना होगा.
मानव तस्करी के किसी मामले में अगर कोई लोक सेवक या पुलिस अधिकारी शामिल है, तो उस अधिकारी को आजीवन कारावास की सजा और आर्थिक जुर्माना का भुगतान करना होगा। कारावास की सजा दोषी के बचे हुए प्राकृतिक जीवन के लिए होगी.
भारतीय दंड संहिता की धारा 370A (IPC Section 370A) 'मानव तस्करी के शिकार व्यक्ति का शोषण' (Exploitation of Trafficked Person) को लेकर है.
इस धारा के तहत जो कोई, जानबूझकर या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि किसी नाबालिग की तस्करी की गई है, उस नाबालिग को किसी भी तरीके से यौन शोषण में शामिल करता है, उसे एक अवधि के लिए कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जो पांच साल से कम नहीं होगा और जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है. उस पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा.
इतना ही नहीं, इस धारा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या विश्वास रखने का ऐसा कारण रखते हुए कि किसी व्यक्ति के साथ तस्करी हुई है, उसे किसी तरह के यौन शोषण में शामिल करता है, तो उसे तीन से पांच साल तक की जेल की सजा और आर्थिक जुर्माना का भुगतान करना पड़ सकता है.