नई दिल्ली: आज कल शहरों में नौकरी के लिए या बच्चों की पढ़ाई के लिए हर दूसरा आदमी किराये के मकान में रहता है. अक्सर ऐसा होता है कि मकान मालिक मनमानी करते हैं और किराएदार की मजबूरी का फायदा उठा कर उन्हे परेशान करते हैं. ऐसे मकान मालिक कभी किराया बढ़ा देते हैं या अचानक से मकान खाली करने के लिए दबाव बनाने लगते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा करना रेंट कंट्रोल एक्ट (Rent Control Act), 1948 का उल्लंघन है.
अगर आप भी किराये के मकान में रहते हैं तो आपको किराएदार के कुछ कानूनी अधिकारों के बारे में जरूर पता होना चाहिए, ताकि आप कभी भी इन हालातों में फंसे तो अपना बचाव कर सकें. चलिए जानते हैं क्या है रेंट कंट्रोल एक्ट 1948 और एक किरायेदार मकान मालिक द्वारा बेदखली की रक्षा कर सकता है या नहीं.
इस अधिनियम के अनुसार अगर आपका मकान मालिक अचानक से आपको मकान खाली करने के लिए कह रहा है और बेदखली का आधार अमान्य है, तो किरायेदार रेंट कंट्रोल एक्ट 1948 के तहत सुरक्षा की मांग कर सकते हैं.
वर्ष 1948 में विधायिका द्वारा एक केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम पारित किया गया था. यह अधिनियम संपत्ति को किराए पर देने के लिए कुछ नियमों को नियंत्रित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि न तो मकान मालिक और न ही किरायेदारों के अधिकारों का एक दूसरे के द्वारा शोषण किया जाए.
वर्तमान में, प्रत्येक राज्य का अपना किराया नियंत्रण अधिनियम है, हालांकि काफी हद तक एक दूसरे के समान है, लेकिन उसमें कुछ मामूली अंतर हैं. यह अधिनियम किरायेदार की सुरक्षा के लिए स्थिति को विनियमित (Regulate) करता है.
कानून के अनुसार, कोई भी मकान मालिक अपने किराएदार को बिना वैलिड रीजन या रेंट एग्रीमेंट में तय समय से पहले घर से बाहर नहीं निकाल सकता. इतना ही नहीं यदि किराए का समय पर भुगतान किया जाता है तो मकान मालिक किरायेदार को पांच साल के लिए बेदखल नहीं कर सकता है.
अगर कभी ऐसा होता है कि मकान मालिक को किराए पर दी गई संपत्ति का कुछ निजी इस्तेमाल करना है तो ऐसे में वह जरुरत पड़ने पर बेदखली के लिए कह सकता है. हालांकि, बेदखली का आधार कानून की नजर में वैध होना चाहिए.
लेकिन, इस एक्ट के तहत अगर किराएदार ने 2 महीने का रेंट नहीं दिया है और घर को कमर्शियल काम के लिए इस्तेमाल कर रहा है और यह बातें एग्रीमेंट में नहीं लिखी गई हैं तो मकान मालिक घर या संबंधित प्रॉपर्टी खाली करवा सकता है. वहीं, इस स्थिति में भी मकान मालिक के लिए यह जरूरी है कि वह किराएदार को घर खाली करने के लिए कम से कम 15 दिन का नोटिस दे.
अगर कोई मकान मालिक बेदखली की सूचना दिए बिना किरायेदार को घर से जबरन हटाने की कोशिश करता है, तो किरायेदार सिविल कोर्ट में मामला दर्ज कर सकता है और निषेधाज्ञा का मुकदमा भी दायर कर सकता है.
बेदखली का आधार
अगर आपको किराए के मकान से बेदखल किया जा रहा है तो आपको बेदखली के आधार की जांच करनी होगी. यह जानना होगा कि आपको किस वजह से निकाला जा रहा है. वो आधार हैं किराए का भुगतान नहीं करना, संपत्ति की क्षति, किराए के समझौते का उल्लंघन, या अवैध गतिविधि हैं.
अगर इन नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है तब ही मकान मालिक आपको बेदखल कर सकता है अथवा उसके पास अधिकार नहीं है ऐसा करने का. अगर जांच में आपको लग रहा है कि बेदखली के आधार अनुचित हैं, तो आप एक किरायेदार होने के नाते इस बेदखली को रोकने के लिए प्रवर्तन निकायों से मदद ले सकते हैं.
स्थगन की मांग
मान लीजिए आपने किराये का भुगतान नहीं किया है, जिसके कारण मकान मालिक ने आपके खिलाफ अदालत में बेदखली दायर की है, तो आपको अदालत से एक विशिष्ट तिथि पर उपस्थित होने के लिए एक नोटिस मिल सकता है. अगर आप इन कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने से बचना चाहते हैं तो स्थगन की मांग करना एक विकल्प है .
यह स्थगन 14 दिन का होता है. मकान मालिक ने बेदखली दायर की है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको मकान अभी खाली करना होगा. ऐसी स्थिति में आप स्थगन की मांग कर सकते हैं और अपना किराया चुका सकते हैं. यह बेदखली को रोकेगा.
निषेधाज्ञा का मुकदमा
अगर किसी किरायेदार को कोई ऐसी समस्या है जिसके कारण वह मकान खाली नहीं कर सकता है जैसे- मेडिकल इमरजेंसी या उसके बूढ़े माता-पिता यानि किरायेदार को वास्तविक समस्या है, तो वह मकान मालिक को बेदखल करने से रोकने के लिए अदालत में निषेधाज्ञा का मुकदमा दायर कर सकता है.
निषेधाज्ञा कोर्ट द्वारा दिया गया एक उपाय है, जो गलत धमकी देने या पहले से ही शुरू हो चुकी गलत कार्रवाई को जारी रखने पर प्रतिबंध लगाता है. यह एक उचित क़ानूनी कदम माना जाता है अगर मकान मालिक किरायेदार को बिना सूचना के छोड़ने के लिए मजबूर कर रहा है.
रेंट कंट्रोलर की मदद
अगर आपके मकान मालिक ने आपको झूठे आधार पर बेदखली का नोटिस दिया है. तो आप अपने अधिकार क्षेत्र के किराया नियंत्रक से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं. आप उन्हें किरायेदार बेदखली नोटिस को चुनौती देने के लिए कह सकते हैं. इसके बाद किरायेदार होने के नाते आपको अपना पक्ष रखने के लिए सम्मन तिथि पर अदालत में पेश होना होगा.