नई दिल्ली: बचपन किसी के जीवन का स्वर्णिम समय माना जाता है और इस दौरान बच्चों की वृद्धि और विकास के लिए अनुकूल वातावरण का होना आवश्यक है. लेकिन इस बचपन में पढ़ाई और खेल-कूद के बजाए यदि काम का बोझ पड़ जाए तो बच्चों का जीवन संघर्षपूर्ण हो जाता है. अपने बचपन के वर्षों के दौरान शायद ही कोई श्रम करना चाहता हो पर गरीबी, निरक्षरता (अशिक्षा), और कुछ अनैतिक नियोक्ता (एम्प्लायर) के कारण बाल श्रम जैसे अभिशाप अभी भी समाज के कुछ कोनों में प्रचलित हैं.
किसी भी प्रकार के कार्य में बच्चों का नियोजन जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है और उन्हें उनकी बुनियादी शैक्षिक और मनोरंजन आवश्यकताओं से वंचित रखता है, वह बाल श्रम होता है. कुछ उद्योगों और खनन कार्यों के लिए बच्चे श्रम का एक सस्ता स्रोत होते हैं, और भ्रष्ट नियोक्ता कम पारिश्रमिक के कारण बच्चों को काम पर रखते हैं. वहीं कई बार कम आय वाले परिवार, गरीबी के कारण अपने बच्चों को अतिरिक्त पैसा कमाने के लिए काम पर लगा देते हैं.
कारण चाहे जो भी हो, बाल श्रम मानवाधिकारों का हनन और संज्ञेय अपराध है. समाज से बाल श्रम को खत्म करने और बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए लोगों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के बारे में जागरूकता होना जरूरी है.
कुछ प्रतिबंधित रोजगारों में 14 और 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को विभिन्न अधिनियमों द्वारा प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन यह तय करने के लिए किसी भी कानून में कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं था कि किस रोजगार, व्यवसाय या प्रक्रियाओं में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. अतः इस विषय पर एक व्यापक कानून बनाने का निर्णय लिया गया और इसके लिए बाल श्रम (निषेध और विनियमन) विधेयक संसद में पेश किया गया.
बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 के अनुसार-
-एक व्यक्ति जिसकी आयु 14 वर्ष से कम है, उसे "बच्चा" माना जाता है.
-अधिनियम की अनुसूची 57 (Schedule 57), 13 गतिविधियों में बच्चों के रोजगार और शिक्षा पर रोक लगाती है.
-नई नौकरियों और कार्यों को अनुसूची में जोड़ने के लिए सिफारिशें प्रदान करने हेतु अधिनियम के तहत एक तकनीकी सलाहकार समिति की स्थापना की गई है.
-अधिनियम द्वारा स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित नहीं की गई सभी नौकरियों और गतिविधियों की कार्य स्थितियां व शर्तें अधिनियम (भाग III) द्वारा नियंत्रित होती हैं.
-प्रावधानों को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उनके संबंधित अधिकार क्षेत्र में लागू किया जाता है.
किसी भी बच्चे को अनुसूची के भाग A में निर्धारित किसी भी व्यवसाय में या किसी भी कार्यशाला में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिसमें अनुसूची के भाग B में निर्धारित कोई भी प्रक्रिया चलती है: बशर्ते कि इस खंड में कुछ भी किसी भी कार्यशाला पर लागू नहीं होगा जिसमें अधिभोगी द्वारा अपने परिवार की सहायता से या सरकार द्वारा स्थापित किसी स्कूल या सरकार से सहायता या मान्यता प्राप्त करने के लिए कोई प्रक्रिया की जाती है.
अनुसूची दो भागों में खतरनाक व्यवसायों की एक सूची देती है. भाग A के अनुसार, किसी भी बच्चे को 13 व्यवसायों में नियोजित या काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जैसे-वधशालाएं, रेलवे में एश पिट की सफाई, विस्फोटकों, फाउंड्री आदि.
भाग B के अनुसार, किसी भी बच्चे को कुछ कार्यशाला में नियोजित या काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिसमें इस भाग के तहत 57 तरह के प्रक्रिया का उल्लेख शामिल हैं. जैसे- बीड़ी बनाना, कालीन-बुनाई, सीमेंट का निर्माण, अभ्रक काटना और तोड़ना, माचिस, विस्फोटक और आतिशबाजी का निर्माण इत्यादि.
बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम की धारा 3 के उल्लंघन में बच्चे को काम पर रखने पर दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को कारावास की सजा हो सकती है. सजा की अवधि तीन महीने से कम नहीं होनी चाहिए, और यह अधिकतम एक वर्ष तक का हो सकता है. साथ ही जुर्माना जो 10,000 रुपये से कम नहीं होना चाहिए, लेकिन 20,000 रुपये या दोनों के संयोजन के रूप में अधिक हो सकता है.