
ताहिर हुसैन की याचिका
दिल्ली दंगे के आरोपी व पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने आज तीसरे दिन सुनवाई की. ताहिर हुसैन ने चुनाव लड़ने के लिए राहत पाने की मांग की है.

जस्टिस पंकज मित्तल
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ इस याचिका को सुन रही है. कार्यवाही के दौरान ताहिर हुसैन को अंतरिम जमानत देने को लेकर दोनों जज एक दूसरे अलग विचार रखते आए.

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि याचिकाकर्ता को क्यों जमानत नहीं दी जा सकती है,

जस्टिस पंकज मित्तल का इंकार
इससे अलग विचार रखते हुए जस्टिस पंकज मित्तल ने कहा कि चुनाव प्रचार कोई मूल अधिकार नहीं है या संवैधानिक अधिकार नहीं है. अगर प्रचार करना कोई मूल या संवैधानिक अधिकार नहीं है. इस नाते कोर्ट का ये विशेषाधिकार बनता है कि चुनाव प्रचार के लिए वो ज़मानत दे या नहीं दे.

चुनाव लड़ने के लिए जमानत नहीं!
जस्टिस पंकज मित्तल ने आगे कहा कि अगर चुनाव के लिए ज़मानत मिलने लगी तो फिर इस आधार पर बहुत सारी अर्जियां कोर्ट आया करेगी. देश में चुनाव होते ही रहते है,

वोट मांगने के लिए भी जमानत
वहीं, चुनाव प्रचार के लिए ऐसे ही ज़मानत दी जानी लगी तो फिर तो वोट डालने के लिए भी लोग ज़मानत मांगने लग जाएंगे. अभी जेल में रह रहे लोगो को वोट डालने का अधिकार नहीं है.

IB इंस्पेक्टर की मौत का मामला
जस्टिस मित्तल ने कहा कि 11 केस में ताहिर आरोपी है. 8 केस में जमानत मिल चुकी है. ये केस सिर्फ दिल्ली दंगो का नहीं है, बल्कि एक IB अधिकारी की हत्या से जुड़ा है. गम्भीर मामला है. गवाहो के बयान दर्ज होने है.

उक्त टिप्पणी के साथ जस्टिस पंकज मित्तल ने राहत पाने के लिए ताहिर हुसैन को निचली जमानत में जाने के निर्देश दिए.