
जमनी पर अवैध कब्जा
बलपूर्वक किसी दूसरे व्यक्ति की जमीन को अवैध तरीके से कब्जाने के मामले अक्सर सुनने को मिलते हैं.

कब्जा हटाने में लगेगा समय
और अदालत के माध्यम से ऐसे विवाद को सुलझाने में कम-से-कम से 15 से 20 साल का समय तो आसानी से लग ही जाता है.

पूनाराम बनाम मोती राम मामला
हालांकि, जमीन विवाद के एक ऐसे ही मामले, पूनाराम बनाम मोती राम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है,

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नाम पर हो प्रॉपर्टी के कागजात
फैसले के अनुसार व्यक्ति के नाम पर प्रॉपर्टी का टाइटल सूट होना जरूरी है और किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अवैध कब्जा किए हुए बारह साल से कम का समय हुआ हो.

नाम पर ना हो जमीन के कागज
साथ ही अगर कब्जा किए हुए 12 साल हो चुके हो और व्यक्ति के नाम पर जमीन के कागज ना हो तो इस मामले को अदालत के माध्यम से सुलझाना पड़ेगा.

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963
बता दें कि जमीन कब्जाने से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए पहले स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963 की धारा 5 के अनुसार सबसे पहले मुकदमा दायर करना पड़ता था.

जमीन पर स्टे
ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सबसे पहले अदालत से स्टे लेना पड़ता था जिससे दूसरा व्यक्ति जमीन पर किसी तरह का काम नहीं कर सके.