
जस्टिस शेखर यादव
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के विहिप अधिवेशन में दिए गए बयानों की चर्चा जोरों में है.

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल
जस्टिस के बयानों से आपत्ति जताते हुए राज्यसभा सांसद व सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने उनके खिलाफ महाभियोग लाने की बात की.

सिटिंग जज को हटाने की मांग
महाभियोग यानि की सिंटिंग जज को उनके पद से हटाने को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव लाने की घोषणा की है.

सिटिंग जज के खिलाफ महाभियोग लाने की प्रक्रिया
ऐसे में यह उत्सुकता अवश्यमभावी है कि सिटिंग जजों को हटाने की प्रक्रिया क्या है और ऐसा कब किया जा सकता है?

जज को हटाने की मांग?
किसी जज को हटाने की बात तब की जाती है, जब उन पर पद की गरिमा से समझौता, अक्षमता, पद की गरिमा की अवहेलना से संबंधित है.

संसद के दोनों सदनों की सहमति
वहीं संसद में जज के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए लोकसभा के 100 सदस्य और राज्यसभा के 50 सदस्यों के हस्ताक्षर किए हुए नोटिस की जरूरत होती है.

जांच कमेटी गठित की जाएगी
नोटिस मिलने के बाद सदन में एक जांच कमिटी गठित की होती है, जो इन आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सबमिट करेगी.

जज रखेंगे अपनी बात
इस दौरान संबंधित जज को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है. उसके बाद जांच समिति की रिपोर्ट पर संसद के दोनों सदनों में बहस होती है.

तब हटेंगे जज
वहीं संसद के बहुमत से पारित किए गए फैसले पर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद जज को पद से हटाया जा सकता है.