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उत्तराधिकारी या नॉमिनी... व्यक्ति के देहांत पर किसका होगा संपत्ति पर अधिकार

बैंक खाता खोलते समय, नामांकित व्यक्ति की जानकारी देना अनिवार्य है. नामांकित व्यक्ति संपत्ति एकत्र कर सकता है, लेकिन उसका स्वामित्व उसके पास नहीं होता. इसके विपरीत, वसीयत या उत्तराधिकार कानून द्वारा नामित उत्तराधिकारी के पास संपत्ति पर कानूनी अधिकार होते हैं.

Written by Satyam Kumar Published : February 17, 2025 12:06 PM IST

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बैंक अकाउंट में नॉमिनी

जब आप बैंक अकाउंट खोलते हैं, तो वहां नॉमिनी की जानकारी देना अनिवार्य होता है. नॉमिनी वह व्यक्ति है, जिसे आपकी अनुपस्थिति में आपकी संपत्ति या पॉलिसी का लाभ उठाने का अधिकार प्राप्त होता है. आप कभी अपने बहुत करीबी दोस्त या रिश्तेदार को भी नॉमिनी बना सकते हैं.

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नॉमिनी और उत्तराधिकारी

हालांकि, यह जरूरी नहीं कि नॉमिनी आपकी संपत्ति का मालिक भी हो. इस लेख में हम नॉमिनी और उत्तराधिकारी के बीच के अंतर को समझेंगे,

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आपकी जगह 'नॉमिनी'

नॉमिनी वह व्यक्ति होता है, जो आपकी संपत्ति का कलेक्शन कर सकता है, लेकिन उसे मालिकाना हक नहीं मिलता. यदि आपने अपने उत्तराधिकारी को नॉमिनी बनाया है, तो उसे संपत्ति का हिस्सा मिल सकता है.

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कौन होता है उत्तराधिकारी?

दूसरी ओर, उत्तराधिकारी वह होता है, जिसका नाम कानूनी वसीयत में लिखा जाता है या जो उत्तराधिकार कानून के तहत संपत्ति का अधिकार रखता है.

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Hindu Succession Act, 1956

भारत में, हिंदुओं के लिए संपत्ति का उत्तराधिकार, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के द्वारा तय होता है. इस कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति बिना वसीयत के मर गया तो उसकी संपत्ति उसके कानूनी उत्तराधिकारी के बीच बांटा जाएगा.

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क्लास-1 उत्तराधिकारी

क्लास-1 उत्तराधिकारियों को संपत्ति के पहले अधिकार मिलते हैं, जिसमें पुत्र, पुत्री और पत्नी शामिल होते हैं. यदि क्लास-1 का कोई उत्तराधिकारी नहीं है, तो संपत्ति क्लास-2 के उत्तराधिकारियों में बांटी जाती है, जिसमें भाई, बहन और पिता शामिल होते हैं.

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संपत्ती का कानूनी अधिकारी

हिंदू पुरुष की संपत्ति का उत्तराधिकारी, सबसे पहले, उसके चार मुख्य उत्तराधिकारियों को मिलता है: माता, विधवा पत्नी, बेटा, बेटी और बहू. यदि इनमें से कोई एक जीवित है, तो सारी संपत्ति उसी को मिलेगी.

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उत्तराधिकार का अधिकार

वहीं, अगर प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी नहीं है, तो संपत्ति दूसरे श्रेणी के उत्तराधिकारी को मिलेगी. कानून यह सुनिश्चित करता है कि उत्तराधिकार तीन पीढ़ियों तक बढ़ाया जा सकता है.

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माता, बेटा और बेटी का अधिकार

पिता को हिंदू पुरुष की संपत्ति के प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी के रूप में नहीं माना जाता है. यदि पिता जीवित है, तो भी संपत्ति केवल माता, विधवा पत्नी, बेटा और बेटी को दी जाएगी.

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उत्तराधिकारी और नॉमिनी में अंतर

तो ये रहा नॉमिनी और उत्तराधिकारी में अंतर, जो कि कानून द्वारा स्थापित है. नॉमिनी आपकी अनुपस्थिति में कार्य करने का अधिकारी होता है, लेकिन कानूनी तौर पर आपकी संपत्ति का वह उत्तराधिकारी नहीं हो सकता है, जब तक आपने उत्तराधिकारी को नॉमिनी बनाया हो.