
अनुकंपा पर नौकरी
अनुकंपा (सहानुभूति) पर नौकरी किसी सरकारी अधिकारी की ड्यूटी करने के दौरान मृत्यु होने पर उसके घरवालों को दी जाती है. सामान्यत: बीबी और बच्चों को मिलती हैं.


ड्यूटी के दौरान मृत्यु
घटना 1997 का है, एक कांस्टेबल की ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गई थी. नियमानुसार, उसके बीवी और बच्चे में किसी को नौकरी देने की बात हुई,

नहीं मिली नौकरी
कांस्टेबल की पत्नी के पास कोई डिग्री नहीं थी और बेटे की आयु महज सात वर्ष था.

बालिग होने पर बेटे को नौकरी
पत्नी ने नाबालिगों के रजिस्टर में बेटे का नाम जुड़वा दिया, लेकिन बालिग होने पर पर भी बेटे को नौकरी से इंकार कर दिया गया.

तीन साल की समय-सीमा
बेटे को नौकरी देने से मना करते हुए अधिकारियों ने कहा कि हरियाणा के 1999 के निर्देशों में कर्मचारी की मृत्यु के बाद अनुकंपा पर नौकरी के लिए दावा तीन साल के भीतर तक ही किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट तक गया मामला
मामला हाईकोर्ट पहुंचा, राहत नहीं मिली. अंतत: मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा,

नौकरी केवल वित्तीय राहत के आधार पर
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अनुकंपा पर नौकरी, परिवार के सदस्यों को व्यक्ति की मृत्यु के समय केवल उसके ना रहने से उत्पन्न तात्कालिक आर्थिक संकट को दूर करने के लिए की जाती हैं. यह कोई निहित अधिकार नहीं है,

बीत चुके ग्यारह साल
चूंकि घटना के 11 साल बीत चुके हैं, इसलिए अनुकंपा पर नौकरी करने का दावा करना उचित नहीं है.

नहीं मिली अनुकंपा नौकरी
अदालत ने बेटे की अनुकंपा पर नौकरी देने के निर्देशों से जुड़ी मांग याचिका को खारिज कर दिया है.