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क्या भगोड़ा घोषित व्यक्ति अनुच्छेद 32 के तहत राहत मांग सकता है? जाकिर नाइक की याचिका पर SG ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा

जाकिर नाइक की याचिका पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से सवाल किया कि क्या अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित व्यक्ति द्वारा अनुच्छेद 32 के दायर याचिका सुनवाई योग्य है.

सुप्रीम कोर्ट में जाकिर नाइक की याचिका पर एसजी ने उठाया सवाल (पिक क्रेडिट ANI)

Written by Satyam Kumar |Published : October 16, 2024 4:30 PM IST

बुधवार (16 अक्टूबर) के दिन सुप्रीम कोर्ट ने  इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक द्वारा 2013 में दायर की गई याचिका पर सुनवाई की. बहस के दौरान जाकिर नाइक की याचिका को सुनवाई की स्वीकृति मिलने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने याचिका की सवाल उठाते हुए कहा कि नाइक, जिसे अदालत के आदेश से भगोड़ा घोषित किया गया है, संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत राहत नहीं मांग सकते. बता दें कि याचिका में जाकिर नाइक ने महाराष्ट्र और कर्नाटक में उनके खिलाफ दर्ज कई FIRs को एक साथ लाने की मांग की है. इस्लामी उपदेशक के खिलाफ ये FIRs नफरत भरे भाषण के लिए IPC की धारा 153A के तहत दर्ज की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को करेगी.

भगोड़ा घोषित व्यक्ति की अनुच्छेद 32 याचिका कैसे सुनवाई योग्य

सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र राज्य की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. एसजी ने सवाल किया कि क्या अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित व्यक्ति क्या अनुच्छेद 32 याचिका बनाए रख सकता है. इस पर जस्टिस अभय ओका की बेंच ने राज्य को इस आपत्ति को उठाने के लिए एक काउंटर हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी. जस्टिस ओका ने कहा कि आप आपत्ति उठाने के लिए काउंटर दाखिल करें, हम इस पर विचार करेंगे.

अदालत ने जाकिर नाइक के वकील आदित्य सोंधी से जाकिर नाइक के खिलाफ मामलों की वस्तुस्थिति के बारे में पूछा. वकील ने अदालत को बताया कि जाकिर नाइक के खिलाफ 43 मुकदमे दर्ज है साथ ही यदि  स्वतंत्रता प्रदान करती है, तो नाइक संबंधित उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दायर कर सकता है.

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एसजी ने कहा कि उन्हें लगा कि जाकिर नाइक अपने को वापस हटा लेंगे, क्योंकि 2013 में उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी, हलफनामा उस दौरान भी तैयार किया गया था, लेकिन याचिका में खामियों के चलते उसे दायर नहीं किया गया था. एसजी ने आगे कहा कि रजिस्ट्री ने भी जाकिर नाइक की याचिका को दोषपूर्ण पाया है, जैसे कि याचिका पर जाकिर नाइक के हस्ताक्षर नहीं है. एसजी ने जोड़ दिया कि पहले याचिका की खामियों को दूर किया जाए.

अदालत ने कहा कि वे रजिस्ट्री द्वारा उठाए गए आपत्तियों को खारिज नहीं कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने एसजी मेहता को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

क्या है मामला?

इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के देश के कई राज्यों में एफआईआर दर्ज है. जाकिर नाइक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उसे एक सुनवाई कराने की मांग की है. वहीं जाकिर नाइक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153A के तहत विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई है. बता दें कि  2017 में मुंबई की विशेष NIA अदालत ने नाइक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था, और वह अदालत में पेश नहीं हुए, जिसके बाद उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया.

आर्टिकल 32 के तहत याचिका का अर्थ

आर्टिकल 32 के तहत कोई भी व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन में सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है. आर्टिकल 32 के तहत हर नागरिक अपने मौलिक अधिकारों को बहाल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उसे बहाल करने की मांग कर सकता है.