देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर एक ओर जहां पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं वहीं देश की सर्वोच्च अदालत, मुख्य न्यायाधीश की संख्या के तौर पर सीजेआई चन्द्रचूड़ के रूप में 50 वें मुख्य न्यायाधीश के साथ कार्य कर रहा हैं.
सीजेआई डॉ डी वाई चन्द्रचूड़ यानी डॉ धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का आज 63 वां जन्मदिन हैं, 11 नवंबर 1959 को देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाई वी चन्द्रचूड़ के यहां जन्म लेने वाले जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ देश के न्यायिक इतिहास के पहले सीजेआई है जिनके पिता भी सीजेआई रह चुके हैं.
यू तो सीजेआई चन्द्रचूड़ के नाम अनगिनत उपलब्धियां है लेकिन अदालत के बाहर भी उनका एक ऐसा चेहरा है जिसे आज की युवा पीढ़ी बेहद पसंद करती हैं. जस्टिस चन्द्रचूड़ एक विधिवेत्ता, जज से भी ज्यादा एक शिक्षक और एक प्रोफेसर के रूप में बेहद मांग में रहते हैं.
सीजेआई चन्द्रचूड़ को युवा इसलिए भी बेहद पसंद करते है कि वे अदालत के भीतर भी युवा अधिवक्ताओं को प्रोत्साहित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. हाल ही में एक युवा अधिवक्ता ने जब अपने सीनियर के अनुपस्थिति के चलते एक केस की सुनवाई टालने का आग्रह किया.
तो सीजेआई चन्द्रचूड़ ने उस युवा अधिवक्ता को ही उस केस में बहस करने के लिए प्रोत्साहित किया. बहस पूर्ण होने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने ना केवल पक्षकारों को नोटिस जारी किए, बल्कि युवा अधिवक्ता द्वारा दिए गए तथ्यों के साथ तर्क के लिए तारीफ भी की. ऐसे सैकड़ो उदाहरण भरे है जब जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने ना केवल युवा अधिवक्ताओं को प्रोत्साहित किया है बल्कि उनके साथ खड़े भी नज़र आए हैं.
युवा अधिवक्ताओं के लिए जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ की कोर्ट में किसी मामले की पैरवी करना ही एक गर्व की बात हो जाती है. जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ फैसलो का गहराई से अध्ययन करते हैं, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति रेगुलर अपडेट रहने के चलते अक्सर सीनियर एडवोकेट भी उनके समक्ष बेहद सतर्कता बरतते हैं. ऐसे में युवा अधिवक्ताओं के बीच सीजेआई चन्द्रचूड़ के समक्ष पेश होना और पैरवी करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं.
लेकिन युवा अधिवक्ता जब कानूनी बिंदुओं की जानकारी और उचित तथ्यों के साथ सीजेआई चन्द्रचूड़ के समक्ष पैरवी करते हैं, तो युवा अधिवक्ताओं के लिए हमेशा ही एक आश्चर्यजनक प्रोत्साहन तैयार मिलता हैं. इसलिए युवा अधिवक्ता भी सीजेआई चन्द्रचूड़ के समक्ष पैरवी करना गर्व समझते हैं.
सीजेआई बनने के पहले ही दिन एक मामले में उनके समक्ष पेश हुए जयपुर के युवा अधिवक्ता अजीत सिंह खासे उत्साहित हैं, वे इसे अपने जीवन का एक सुनहरा पल मानते हैं, अजीतसिंह कहते हैं उनके जैसे युवा के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि हैं. मैंने एक केस को मेंशन किया था उन्होने मेरे तर्क सुने तत्काल सुनवाई करना स्वीकार कर लिया.
जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ को एक जज के साथ साथ एक बेहतरीन वक्ता और शिक्षक के रूप में पहचान मिली हुई है. देश और दुनिया के कई संस्थानों और कार्यक्रमों में जस्टिस चन्द्रचूड़ की बेहद मांग रही हैं. लोकतंत्र की स्वतंत्रता, आजादी से लेकर मानवीय मूल्यों को लेकर दिए गए उन्हे व्याख्यान हमेंशा ही उनके फैसलों की तरह ही चर्चा में रहे हैं.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त होने के बाद से ही अब सैकड़ों व्याख्यान दे चुके हैं. देशभर की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी हो या फिर लॉ यूनिवर्सिटी या पूर्व विधिवेत्ताओं की याद में रखें जाने वाले लेक्चर हो, सीजेआई चंद्रचूड़ की हमेशा की मांग रहती हैं.
जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ देश की न्यायपालिका में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में एक उदार और मानवतावादी जज के रूप में पहचाने जाते हैं. खासतौर पर जब महिलाओं और हाशिए के लोगों के अधिकारों से संबंधित मुद्दों की बात आती है. तब जज के रूप में उन्होंने कई अहम और परिवर्तनकारी दृष्टिकोण का साहस के साथ समर्थन किया है.
जस्टिस चन्द्रचूड़ मुंबई विश्वविद्यालय में संवैधानिक कानून के विजिटिंग प्रोफेसर रहें है.अमेरिका के ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ में भी विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर काम कर चुके हैं. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड लॉ स्कूल, येल लॉ स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ़ वीट वाटर सैंड, दक्षिण अफ्रीका में दर्जनों व्याख्यान दे चुके हैं.
मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक सहित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक सहित संयुक्त राष्ट्र के निकायों द्वारा आयोजित सम्मेलनों में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ में दिए गए उनके व्याख्यान आज भी याद किए जाते हैं.