सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय सूचना आयोग (CEC) और राज्य सूचना आयोगों (AIC) में रिक्तियों को तुरंत भरने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि इन पदों पर काम करने वाले लोग नहीं होंगे, तो इन संस्थाओं का क्या लाभ है. सुनवाई के दौरान इन आयोगों में केवल नौकरशाहों के भर्ती करने पर न्यायिक संज्ञान लेने की हिदायत दी है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज ने कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के बावजूद राज्यों ने चयन प्रक्रिया में देरी की है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अगस्त 2024 में शुरू हुई चयन प्रक्रिया की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने आयोगों में केवल एक विशेष श्रेणी के उम्मीदवारों की नियुक्ति की आलोचना की. उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को शामिल नहीं किया जा रहा है, जिससे आयोगों की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,
‘‘हम इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान ले सकते हैं कि इन आयोगों में केवल एक ही श्रेणी के लोग हैं. केवल नौकरशाहों की ही नियुक्ति क्यों की जानी चाहिए और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की नियुक्ति क्यों नहीं की जानी चाहिए. हम इस पर और कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन इस पर गौर करने की जरूरत है.’’
याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इन रिक्तियों को भरने के लिए निर्देश जारी किए थे, लेकिन राज्यों ने चयन प्रक्रिया में देरी की है. इससे सूचना का अधिकार अधिनियम कमजोर हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि अगस्त 2024 में शुरू हुई चयन प्रक्रिया की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें. इसके साथ ही, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के संयुक्त सचिव को यह बताने के लिए कहा गया है कि सूचना आयुक्त के पद के लिए 161 उम्मीदवारों के नामों पर कब निर्णय लिया जाएगा. पीठ ने केंद्र से दो सप्ताह के भीतर, इस पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के नाम और उन्हें चयनित करने के मानदंडों को बताने को कहा है.
शीर्ष अदालत ने झारखंड के मामले का गंभीर संज्ञान लिया, जिसने उसके बार-बार के निर्देशों के बावजूद सूचना आयुक्तों को इस आधार पर नियुक्त नहीं किया कि विधानसभा में विपक्ष का नेता नहीं है. अदालत ने झारखंड विधानसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल को निर्देश दिया कि वह सूचना आयुक्तों के चयन के उद्देश्य से अपने एक निर्वाचित सदस्य को चयन समिति में नामित करे और उसके बाद नियुक्तियां शुरू हो सकेंगी.