West Bengal Governor: पश्चिम बंगाल पुलिस ने राज्य के गवर्नर सीवी आनंद बोस (CV Ananad Bose) के खिलाफ शिकायत दर्ज की है. बंगाल के गवर्नर पर यौन शोषण (Sexual Harassment) का आरोप लगा है. आरोप राजभवन में ही कार्यरत एक महिला संविदा कर्मचारी ने लगाई है. पीड़िता के शिकायत के आधार पर कोलकाता पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस ने आगे की जांच के लिए एक टीम भी गठित की है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि राज्य की पुलिस किन शक्तियों के आधार पर गवर्नर को गिरफ्तार कर सकती हैं? इस मामले में संविधान क्या कहता है? अगर ये सवाल आपको उलझन में डाल रही है तो घबराइये मत, आइये हम आपको मामले से जुड़े नियमों को बताते हैं.
गर्वनर सीवी आनंद ने राजभवन के कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वे पुलिस की तरफ से आए समन को नजरअंदाज करें. बंगाल राज्य की पुलिस गवर्नर पद पर रहने के दौरान कोई एक्शन नहीं ले सकती है.
पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई की है. पुलिस ने बताया कि उन्होंने अब तक राजभवन के चार कर्मचारियों को तलब किया है. उन कर्मचारियों को शाम चार बजे तक हरे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में हाजिर होने को कहा है.
राज्यपाल एक विशिष्ट पद है. वे एक तरह से केन्द्र के प्रतिनिधि के तौर देखे जाते हैं. वहीं, राज्य की सरकार और राज्यपाल के बीच में अक्सर ही विवाद उत्पन्न होते रहें है. लेकिन संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत मौजूदा गवर्नर के खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है.
आर्टिकल 361 राज्यपाल के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से इम्युनिटी देती है. नियमों के मुताबिक, पदासीन राज्यपाल के खिलाफ कोई अपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी. साथ ही अदालत भी राज्यपाल के खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश नहीं जारी करेगी.
पीड़िता के आरोप गंभीर हैं. वहीं, राज्यपाल ने आरोपों को राजनीतिक पूर्वाग्रहों से प्रेरित बताया है. लेकिन आगे क्या होगा, क्या कानूनी अड़चने सामने आएगी, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.