Advertisement

पहले पतंजलि के 14 प्रोडक्ट्स पर बैन लगाया, फिर उत्तराखंड लाइसेंसिंग बॉडी ने SC से मांगी माफी, साथ में ये आश्वासन भी दिया

राज्य में पतंजलि की 14 दवाओं को बैन करते हुए उत्तराखंड लाइसेंसिंग बॉडी ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी की मांग की है. साथ ही पतंजलि की पिछली गलतियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.

Written by My Lord Team |Published : April 30, 2024 12:11 PM IST

 Patanjali Misleading Ad case: पतंजलि भ्रामक केस में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को भी पार्टी बनाया है. पार्टी बनाने के बाद ही उत्तराखंड लाइसेंसिंग बॉडी फुर्ती में आई. आनन-फानन में उन्होंने पतंजलि की 14 दवाओं को बैन किया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी की मांग भी की है. उत्तराखंड लाइसेंसिंग बॉडी ने सुप्रीम कोर्ट को ये आश्वासन भी दिया है कि वे कंपनी द्वारा की गई पिछली गलतियों पर भी कार्रवाई करेंगे.
बता दें कि पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में केवल पतंजलि, बाबा रामदेव या आचार्य बालकृष्ण की मुश्किलें नहीं बढ़ी है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कई मंत्रालयों से लेकर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को भी पार्टी बनाया है. केन्द्र व राज्यों से ड्रग्स एंड रेमेडीज एक्ट, 1954 के तहत कार्रवाई नहीं करने के कारणों की मांग की गई है. ऐसे में उस पल का ख्याल आना लाजिमी है जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पूरे देश को धोखे में रखा गया. सारी नियमों को ताक पर धर दिया गया है.

पतंजलि की 14 दवाएं उत्तराखंड में बैन

इस वाक्य के असल मतलब या रूझान बाहर आ रहे हैं. सबसे पहले उत्तराखंड लाइसेंसिंग बॉडी ने सुप्रीम कोर्ट से माफी की मांग की. कहा, हमसे गलती हुई है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने पतंजलि आयुर्वेद, बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अपराधिक मामला भी दर्ज कर लिया है. कंपनी की 14 दवाओं को राज्य में बैन भी किया है. अब ये दवाएं राज्य में नहीं बिकेगी. स्टेट लाइसेंसिंग बॉडी (SLA) ने हलफनामा (Affidavit) दायर कर सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वे नियमों के अनुपालन हेतु उचित कदम उठा रहे हैं. लाइसेंसिंग बॉडी की ओर से ये हलफनामा अधिवक्ता वंशजा शुक्ला ने दायर किया है.

हलफनामा में राहत की मांग करते हुए कहा गया,

"SLA अपने कर्तव्यों के प्रति सतर्क रहा है और उक्त अधिनियमों और नियमों के तहत उचित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए हैं...एसएलए को एक परिवार की भी देखभाल करनी है और इसलिए इस माननीय न्यायालय द्वारा की गई कोई भी टिप्पणी उनके करियर पर हानिकारक प्रभाव डालेगी."

SLA ने आगे कहा,

Also Read

More News

"हम स्थिति और मामले की गंभीरता से पूरी तरह अवगत है और हम हमेशा से अपनी सर्वोत्तम क्षमता और कानून के अनुसार अपने कर्तव्यों के पालन करने का प्रयास किया है."

हलफनामे के माध्यम से SLA ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी की मांग की है. साथ ही अदालत को ये आश्वासन दिया है कि वे पतंजलि से हुई अब तक की सभी गलतियों पर कार्रवाई करेंगे.

SLA ने कहा,

" इन गलतियों के लिए हम बिना शर्त माफी मांगते हैं. हम जानबूझकर ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे माननीय अदालत के किसी भी आदेश की अवज्ञा हो या इसकी महिमा कम हो."

कैसे उपजा विवाद?

उत्तराखंड लाइसेंसिंग बॉडी ने हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को ये बातें बताई है. ये पूरा केस इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा पतंजलि के खिलाफ किए गए मुकदमे से शुरू हुआ जिसमें IMA ने पतंजलि पर कोविड-19 वैक्सीन व माडर्न चिकित्सा के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया था.