इस वाक्य के असल मतलब या रूझान बाहर आ रहे हैं. सबसे पहले उत्तराखंड लाइसेंसिंग बॉडी ने सुप्रीम कोर्ट से माफी की मांग की. कहा, हमसे गलती हुई है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने पतंजलि आयुर्वेद, बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अपराधिक मामला भी दर्ज कर लिया है. कंपनी की 14 दवाओं को राज्य में बैन भी किया है. अब ये दवाएं राज्य में नहीं बिकेगी. स्टेट लाइसेंसिंग बॉडी (SLA) ने हलफनामा (Affidavit) दायर कर सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वे नियमों के अनुपालन हेतु उचित कदम उठा रहे हैं. लाइसेंसिंग बॉडी की ओर से ये हलफनामा अधिवक्ता वंशजा शुक्ला ने दायर किया है.
हलफनामा में राहत की मांग करते हुए कहा गया,
"SLA अपने कर्तव्यों के प्रति सतर्क रहा है और उक्त अधिनियमों और नियमों के तहत उचित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए हैं...एसएलए को एक परिवार की भी देखभाल करनी है और इसलिए इस माननीय न्यायालय द्वारा की गई कोई भी टिप्पणी उनके करियर पर हानिकारक प्रभाव डालेगी."
SLA ने आगे कहा,
"हम स्थिति और मामले की गंभीरता से पूरी तरह अवगत है और हम हमेशा से अपनी सर्वोत्तम क्षमता और कानून के अनुसार अपने कर्तव्यों के पालन करने का प्रयास किया है."
हलफनामे के माध्यम से SLA ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी की मांग की है. साथ ही अदालत को ये आश्वासन दिया है कि वे पतंजलि से हुई अब तक की सभी गलतियों पर कार्रवाई करेंगे.
SLA ने कहा,
" इन गलतियों के लिए हम बिना शर्त माफी मांगते हैं. हम जानबूझकर ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे माननीय अदालत के किसी भी आदेश की अवज्ञा हो या इसकी महिमा कम हो."
उत्तराखंड लाइसेंसिंग बॉडी ने हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को ये बातें बताई है. ये पूरा केस इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा पतंजलि के खिलाफ किए गए मुकदमे से शुरू हुआ जिसमें IMA ने पतंजलि पर कोविड-19 वैक्सीन व माडर्न चिकित्सा के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया था.