कांग्रेस नेता व लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष (LoP) राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश की एक जिला अदालत ने सम्मन जारी किया है. लखनऊ जिला अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज शिकायत पर संज्ञान लेते हुए उन्हें दस जनवरी के दिन, मुकदमे की सुनवाई के दौरान, हाजिर रहने केआदेश दिए हैं. यह मामला भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के अकोला में 'सावरकर' के खिलाफ विवादित बयान देने से जुड़ा है. अधिवक्ता नृपेन्द्र पाण्डेय ने इस बयान को आधार बनाते हुए राहुल गांधी के खिलाफ समाज में द्वेष व वैमनस्यता फैलाने के आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था. (नृपेन्द्र पाण्डेय बनाम राहुल गांधी)
लखनऊ जिला अदालत के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय आलोक वर्मा ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए राहुल गांधी को सम्मन जारी करते हुए 10 जनवरी 2025 के दिन अदालत के सामने उपस्थित रहने का आदेश दिए हैं. अदालत ने कहा कि राहुल गांधी का यह भाषण इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पूरे देश भर में प्रसारित व प्रचारित किया है, जो अदालत को मामले में संज्ञान लेने के लिए आवश्यक क्षेत्राधिकार प्रदान करता है.
अधिवक्ता नृपेन्द्र पाण्डेय की शिकायत को आईपीसी की धारा 153ए (दंगा भड़काने के इरादे किया गया कार्य) और धारा 505 (सार्वजनिक रूप से बयान देकर लोगों को भड़काना) के तहत दर्ज किया गया है. अधिवक्ता नृपेन्द्र पाण्डेय (शिकायतकर्ता ) ने घटनाक्रम को लेकर कहा कि 17.12.2022 के दिन महाराष्ट्र के अकोला में राहुल गांधी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. शिकायतकर्ता के अनुसार, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सावरकर जी को अपमानित करने के लिए अंग्रेजों से पेंशन लेने वाला, अंग्रेजों का नौकर बताया. उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी का ये बयान समाज में द्वेष व वैमनस्यता फैलाने के लिए दिया गया है. सावरकर के खिलाफ बयान को लेकर पहले से ही पत्रक छपवाए गए थे, जो कि पत्रकारों व समाचार एजेंसियों को वितरित किए गए थे.