Advertisement

Uniform Civil Code पर 22वें विधि आयोग ने लोगों और धार्मिक संगठनों से विचार मांगे

नोटिस में कहा गया है, ‘‘बाइसवें विधि आयोग ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर व्यापक स्तर पर लोगों और मान्यताप्राप्त धार्मिक संगठनों के विचार मांगने का फैसला किया है।’’

uniform civil code

Written by My Lord Team |Published : June 15, 2023 5:54 PM IST

नयी दिल्ली: राजनीतिक रूप से संवेदनशील ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) मामले पर विधि आयोग ने लोगों तथा मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार आमंत्रित कर नये सिरे से परामर्श की प्रक्रिया बुधवार को शुरू कर दी है.

आपको बता दे कि समान नागरिक संहिता का मतलब देश के सभी नागरिकों के लिए एक साझा कानून से है, जो धर्म पर आधारित न हो।

वर्तमान आयोग से पहले, 21वें विधि आयोग ने मुद्दे की पड़ताल की थी और समान नागरिक संहिता पर दो मौकों पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे, लेकिन उसका कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था.

Also Read

More News

इसके बाद, ‘परिवार कानून में सुधारों’ पर 2018 में एक परामर्श पत्र जारी किया गया था, जिसमे आयोग ने एक सार्वजनिक नोटिस में कहा, ‘‘उक्त परामर्श पत्र को जारी करने की तिथि से तीन वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद, मुद्दे की प्रासंगिकता एवं महत्व और इस पर विभिन्न अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए 22वें विधि आयोग ने मुद्दे पर नये सिरे से चर्चा करने का फैसला किया है।’’

22वें विधि आयोग, जिसे हाल में तीन साल का कार्य विस्तार दिया गया है, ने केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा एक पत्र भेजे जाने के बाद समान नागरिक संहिता से जुड़े विषयों की पड़ताल शुरू कर दी है।

नोटिस में कहा गया है, ‘‘बाइसवें विधि आयोग ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर व्यापक स्तर पर लोगों और मान्यताप्राप्त धार्मिक संगठनों के विचार मांगने का फैसला किया है।’’

उल्लेखनीय है की इस विषय में रुचि रखने वाले लोग व संगठन नोटिस जारी होने की तारीख की 30 दिन की अवधि के अंदर विधि आयोग को अपने विचार प्रस्तुत कर सकते हैं। नोटिस में यह भी कहा गया है कि जरूरत पड़ने पर आयोग व्यक्तिगत सुनवाई या चर्चा के लिए किसी व्यक्ति या संगठन को बुला सकता है।

आपको जानकारी होगी कि समान नागरिक संहिता का मतलब देश के सभी नागरिकों के लिए एक साझा कानून से है, जिसे लागू करना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनाव घोषणापत्रों में प्रमुखता से शामिल रहा है।

भाजपा के इसी एजेंडा के तहत, उत्तराखंड जैसे राज्य अपनी समान नागरिक संहिता तैयार करने की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं। जबकि भाजपा द्वारा कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले की गई घोषणा की राज्य में समान नागरिक संहिता लागू किया जायेगा को वहां की जनता ने नकार दिया है.