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चेन्नई फॉर्मूला 4 कार रेसिंग इवेंट के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट पहुंचे बीजेपी नेता, कहा- आम जनता को हो रही असुविधा

फॉर्मूला रेस 4

तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ए.एन.एस. प्रसाद ने चेन्नई में 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने वाले फॉर्मूला 4 कार रेसिंग इवेंट के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले को 28 अगस्त के दिन सुनवाई करेगी.

Written by Satyam Kumar |Updated : August 27, 2024 8:01 PM IST

तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ए.एन.एस. प्रसाद ने चेन्नई में 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने वाले फॉर्मूला 4 कार रेसिंग इवेंट के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले को 28 अगस्त के दिन सुनवाई करेगी. भाजपा नेता ने अपनी याचिका में कहा है कि फॉर्मूला 4 कार रेसिंग होने से सड़क जाम की समस्या उत्पन्न हो रही, जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

ANI की रिपोर्ट में बीजेपी नेता ने याचिका में यह भी आरोप लगाया कि अवैध सड़क निर्माण कार्य भी किए जा रहे हैं, जिससे चेन्नई जनरल अस्पताल और चेन्नई मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में आने वाले दैनिक यात्रियों और मरीजों को असुविधा हो रही है. याचिकाकर्ता ने कहा कि वह कार रेसिंग इवेंट की प्रकृति और जनता पर इसके प्रभाव का हवाला देते हुए इसे रोकना चाहते हैं.

तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि फॉर्मूला 4-नाइट स्ट्रीट रेस से यात्रियों को कोई परेशानी नहीं होगी.  उदयनिधि ने कुछ दिन पहले मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा था कि रेस देखने के लिए 8,000 लोगों के लिए व्यवस्था की गई है. डीएमके सरकार ने इस आयोजन के लिए करीब 30 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इस आयोजन में आठ टीमें हिस्सा लेंगी और ट्रैक पर 19 मोड़ और मुश्किल ऊंचाई होगी. इस आयोजन की मेजबानी करने की राज्य सरकार की योजना का विरोध करते हुए, एआईएडीएमके ने सत्तारूढ़ डीएमके सरकार पर "कुशासन" का आरोप लगाया.

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एआईएडीएमके महासचिव और तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता एडप्पादी पलानीस्वामी (ईपीएस) ने कहा कि सार्वजनिक धन का उपयोग लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाना चाहिए और खेल आयोजन की आड़ में मनोरंजन के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.

विपक्षी नेता ने आरोप लगाया कि यह सर्किट अस्पतालों के पास है और इससे शहर में परिवहन पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. हालांकि, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि उनका इस आयोजन के निजी आयोजकों के साथ एक समझौता है, जिसके तहत वे इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में अपनाई गई प्रक्रिया के समान ही राजस्व देंगे.