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तेलंगाना हाईकोर्ट ने एमसीसी को दिया निर्देश, अनुसूचित जाति के इस उम्मीदवार को मिलना चाहिए 'अतिरिक्त लाभ'

तेलंगाना उच्च न्यायालय से अनुसूचित जाति के एक डॉक्टर ने मदद की गुहार लगाई कि उन्हें ट्रांसजेंडर का स्टेटस भी दिया जाना चाहिए। अब, अदालत ने मेडिकल काउंसलिंग कमिशन को निर्देश दिया है कि इस डॉक्टर को SC के साथ थर्ड जेंडर स्टेटस और उनके तहत आने वाले लाभ दिए जाने चाहिए

NEET PG 2023 SC Candidate given benefits under Third Gender Status on Demand by Telangana HC

Written by My Lord Team |Published : June 23, 2023 12:01 PM IST

नई दिल्ली: तेलंगाना उच्च न्यायालय (Telangana High Court) ने हाल ही में एमसीसी को यह आदेश दिया है वो NEET PG, 2023 के अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) के एक उम्मीदवार को एक और 'अतिरिक्त लाभ' दें, जो उनका अधिकार है। मामला क्या है, आइए इस बारे में जानते हैं.

जैसा कि हमने आपको अभी बताया कि तेलंगाना उच्च न्यायालय ने हाल ही में मेडिकल काउंसलिंग कमिशन (Medical Counseling Commission) को यह निर्देश दिया है कि वो नीट पीजी, 2023 के अनुसूचित जाति के एक उम्मीदवार को थर्ड जेंडर का स्टेटस और उसके तहत आने वाले लाभ भी दें।

अदालत ने MCC को दिया निर्देश

तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश उज्जल भूयन और न्यायाधीश एन तुकाराम जी की पीठ ने एमसीसी (MCC) को एक याचिका के आधार पर यह निर्देश दिया है कि वो याचिकाकर्ता को, जो अनुसूचित जाति की श्रेणी के हैं, तीसरे लिंग का दर्जा (Third Gender Status) और उसके लाभ भी प्रदान करें।

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अदालत का यह कहना है कि नीट पीजी, 2023 में सेंट्रल कोटा या स्टेट कोटा के तहत याचिकाकर्ता जिस भी कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं, उन्हें उसके लिए, अनुसूचित जाति और ट्रांसजेंडर, दोनों दर्जों के आधार पर फायदा मिलना चाहिए।

जानें पूरा मामला

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉ रूथ जॉन पॉल तेलंगाना के पहले ट्रांसजेंडर डॉक्टर्स में से हैं और अनुसूचित जाति की श्रेणी से आते हैं। डॉ. पॉल पिछले साल नीट पीजी में दाखिला लेते समय याचिका दायर की थी कि उन्हें तीसरे लिंग का दर्जा भी दिया जा सके और अदालत ने उनका मामला नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) को भेज दिया था।

एनएमसी ने यह ऑर्डर पास किया था कि क्योंकि पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन रेग्युलेशन्स, 2000 के तहत लिंग के आधार पर रिजर्वेशन का कोई प्रावधान नहीं है, याचिकाकर्ता की मांग को पूरा नहीं किया जा सकता है।

इस आदेश के चलते याचिकाकर्ता ने दोबारा अदालत का दरवाजा खटखटाया और अब उनकी मांग को अदालत ने पूरा कर दिया है।