तमिलनाडु के फॉरेस्ट मिनिस्टर के पोन्मुदी और उनके दो बेटे गौतम सिगामणि, जो कल्लाकुरिची से लोकसभा सांसद हैं, और अशोक सिगामणि, जो तमिलनाडु क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं, बुधवार को एक विशेष अदालत (Special Court) में अवैध लाल बालू खनन मामले में पेश हुए. अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश एस एझिल वेलवन के समक्ष पेश होने के दौरान, पोन्मुदी ने सीआरपीसी की धारा 205 के तहत एक याचिका दायर कर अदालत में आगे की व्यक्तिगत उपस्थिति (Personal Appearance) से छूट की मांग की. उन्होंने व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की मांग की करते हुए कि वह एक मंत्री और डीएमके के उप महासचिव के रूप में जिम्मेदारियों का सामना कर रहे हैं. याचिका पर जज ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अपना जवाब रखने को कहा है.
यह मामला 2012 का है, जब सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) ने पोन्मुदी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. शिकायत में जांच एजेंसी ने नेता पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने बेटे और करीबी सहयोगियों को बिना उचित अनुमति के लाल बालू खनन करने में मदद की, जिससे तमिलनाडु राज्य को 28.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसके बाद, 2023 में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पोन्मुदी, गौतम सिगामणि और चार अन्य के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया. ईडी ने पोन्मुदी से जुड़े कई स्थानों पर छापे मारे, जिसमें चेन्नई और विलुपुरम में संपत्तियां शामिल थीं.
पोन्मुदी को बाद में चेन्नई में ED कार्यालय में बुलाया गया, जहां उनकी पूछताछ की गई. ED ने उन्हें दो दिनों तक पूछताछ की, जिसमें लिखित प्रश्न देकर उसके प्रश्न लिखने को कहा गया. इसके बाद मामले में ED ने 90 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें बताया गया कि पोन्मुदी ने 2007 से 2009 के बीच अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने बेटे और रिश्तेदारों को लाल बालू खनन आवंटित किया. ईडी ने 2020 में गौतम सिगामणि की 8.6 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अवैध वित्तीय गतिविधियों से जोड़ा. एजेंसी ने यह भी पाया कि DMK सांसद ने यूएई में 7.5 लाख रुपये और इंडोनेशिया में एक कंपनी में 41 लाख रुपये का निवेश किया है.