नई दिल्ली: OROP को लेकर केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि रक्षा मंत्रालय ‘वन रैंक वन पेंशन’ के बकाए का भुगतान चार किस्तों में करने संबंधी परिपत्र जारी कर कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने केन्द्र सरकार से कहा है कि वह रक्षा मंत्रालय द्वारा 20 जनवरी के परिपत्र को तुरंत वापस ले.
इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई की पीठ ने ये बात कही है. एडवोकेट बालाजी श्रीनिवासन के जरिए दायर इस याचिका में रक्षा मंत्रालय के 20 जनवरी के परिपत्र को रद्द करने की मांग की गई है.
इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने 27 फरवरी को, सशस्त्र बलों के पात्र पेंशनभोगियों को ओआरओपी बकाया के भुगतान में देरी पर रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की थी।
इस परिपत्र के जरिए रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि ओआरओपी की बकाया राशि का भुगतान चार किस्तों में किया जाएगा.
सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से बकाया भुगतान के लिए अधिक समय की मांग की गई थी.
सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से जवाब पेश करते हुए अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि केंद्र ने OROP बकाया की एक किस्त का भुगतान पूर्व सैनिकों को कर दिया है, लेकिन अगले भुगतान के लिए उसे कुछ और समय की जरूरत है.
एजी के जवाब पर पीठ ने कहा कि पहले केन्द्र OROP बकाया के भुगतान के लिए 20 जनवरी की अपनी अधिसूचना वापस लें, फिर हम समय दिए जाने के संबंध में आपके आवेदन पर विचार करेंगे.
पीठ ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का 20 जनवरी का परिपत्र पूरी तरह से उसके फैसले के विपरीत था और मंत्रालय अपनी ओर से एकतरफा यह नहीं कह सकता कि वह चार किस्तों में OROP बकाया का भुगतान करेगा.
सीजेआई की पीठ ने अटार्नी जनरल को OROP बकाया का भुगतान की जाने वाली राशि, अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों और बकाया भुगतान के लिए प्राथमिकता आदि का विवरण देते हुए एक नोट तैयार करने को कहा.
सीजेआई ने "हम चाहते हैं कि किसी प्रकार का वर्गीकरण होना चाहिए और पहले वृद्ध लोगों को बकाए का भुगतान किया जाना चाहिए. मामला शुरू होने के बाद से अब तक चार लाख से अधिक पेंशनभोगियों की मृत्यु हो चुकी है."