नई दिल्ली: सीनियर एडवोकेट मनोनित करने की प्रक्रिया को लेकर वर्ष 2017 में सुनाए गए फैसले पर पुर्नविचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट 22 सुनवाई करेगा. सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह की याचिका पर सुनवाई से पूर्व केन्द्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले पर पुर्नविचार की मांग को लेकर आवेदन दायर किया है.
जस्टिस एस के कौल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस अरविंद कुमार की तीन सदस्य पीठ इंदिरा जयसिंह की याचिका पर सुनवाई करेगी.
गुरूवार को हुई सुनवाई के दौरान इस पीठ के समक्ष सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने केन्द्र सरकार के इस आवेदन की जानकारी भी दी थी.दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तारीख तय की हैं.
केन्द्र के अनुसार वर्ष 2017 में इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के फैसले के पैराग्राफ 74 के संदर्भ में आवेदन पेश किया गया हैं, इस पैराग्राफ 74 में कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट मनोनयन के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों पर फिर से विचार करने का प्रावधान किया था.
केन्द्र द्वारा पेश किए गए आवेदन में कहा गया है कि 2017 के फैसले के माध्यम से जो प्रणाली विकसित हुई, जिसमें कोई भी व्यक्ति जो प्वाइंट-बेस्ड क्राइटेरिया को पूरा करता है वह सीनियर एडवोकेट बनने के योग्य हो जाता है, जो कि इस 'सम्मान' की गरिमा को हल्का करती हैं.
केन्द्र ने ये भी कहा है कि पब्लिकेशन और इंटरव्यू अत्यधिक व्यक्तिपरक हैं और एक उम्मीदवार का मूल्यांकन करने के लिए प्रभावी पैरामीटर नहीं हो सकते हैं. मनोनित होने का सम्मान अदालत में उनके प्रदर्शन और बार में उन्हें दिए गए सम्मान पर आधारित है और इसका पब्लिकेशन और इंटरव्यू के साथ कोई संबंध नहीं हैं.
आवेदन में केन्द्र ने इस बात पर जोर दिया है कि इस तरह की आवश्यकताएं मनोनयन के लिए प्रासंगिक नहीं हैं और अक्सर योग्य उम्मीदवारों को बाहर करने का कारण बनती हैं.
सुप्रीम कोर्ट अब इंदिरा जयसिंह की याचिका पर 22 फरवरी को सुनवाई करेगा. केन्द्र के साथ साथ इस मामले में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, बार और कई हाईकोर्ट की ओर से भी जवाब दिया जाएगा.