Supreme Court On Arbitral Tribunal: सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसी निर्णय को पारित करने के लिए मध्यस्थता अधिकरण का निश्चित कार्यकाल उसकी अवधि समाप्त होने के बाद भी बढ़ाया जा सकता है. अदालत ने कहा कि अदालतों को कानून को सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि 'अव्यवहार्य परिदृश्य' से बचा जा सके.
शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर कई उच्च न्यायालयों के परस्पर विरोधी निर्णयों पर सुनवाई कर रही थी.
कलकत्ता उच्च न्यायालय सहित कुछ उच्च न्यायालयों ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए माना था कि समय विस्तार के लिए आवेदन पर तभी विचार किया जा सकता है जब वह मध्यस्थता अधिकरण के कार्यकाल या आदेश की समाप्ति से पहले दायर किया गया हो.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कानूनी स्थिति तय करते हुए कहा कि मध्यस्थता अधिकरण के लिए समय विस्तार की अर्जी उसके (अधिकरण के) 12 महीने या 18 महीने के कार्यकाल की समाप्ति के बाद भी दी जा सकती है.
न्यायमूर्ति खन्ना ने पीठ की ओर से फैसला लिखा. विभिन्न कानूनी प्रावधानों पर विचार करते हुए फैसले में कहा कि किसी कानून की व्याख्या करते समय, हमें उस अधिनियम या नियम को सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए और ऐसे परिणामों से बचना चाहिए, जो अव्यवहारिक परिदृश्य पैदा करते हो.