सुप्रीम कोर्ट वेस्ट डिस्पोजल प्रोजेक्ट मामले से जुड़े मामले में वसई विरार नगर निगम की अपील पर सुनवाई कर रही है. इस मामले में जब राज्य सरकार ने हलफनामा के माध्यम से अपना जबाव रखा, राज्य ने कहा उनकी तरफ से अभी इन मामलों के राज्य की ओर से कोई फंड रिलीज नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार) को राज्य सरकार हलफनामा के माध्यम से जबाव देने को कहा है कि कब तक वे वसई विरार नगर पालिका के लिए दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लॉंट के लिए फंड अलॉट करेंगे.
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुंइया की खंडपीठ ने सीवेज वेस्ट ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट में मामले में वसई विरार नगर निगम (Vasai Virar Municipal Corporation) की याचिका पर सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में जब राज्य सरकार की ओऱ से जबाव की उन्होंने अभी वसई विरार नगर पालिका में सीवेज ट्रीटमेंट प्लॉंट के लिए कोई फंड नहीं अलॉट नहीं की है. अदालत ने पिछले सप्ताह शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव को तलब किया था, जिसके बाद डॉ. एच. गोविंदराज IAS, आज एक बेंच के समक्ष उपस्थित हुए.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के स्टैंड से हैरानी जताते हुए कहा कि कोई राज्य ऐसा कैसे कह सकती है कि उसके पास फंड नहीं है. पैसा कहां जा रहा है, अगर हम जांच के आदेश दे देंगे, तो गहरी संकट में पड़ जाएंगे. क्या राज्य यह कहना चाह रही है कि उसके पास दो नगर निगम प्लॉंट के लिए पैसा नहीं है. अगर राज्य के पास पैसा नहीं है, तो अदालत गहराई से इस मामले पर विचार करेगी.
उपस्थित IAS अधिकारी ने जबाव दिया कि इस प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार अगले वित्तीय वर्ष में पैसा अलॉट करेगी. इस पर जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि यह दुखद है कि राज्य अपने कर्तव्य से इतर रह रही है. पर्यावरण की रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है. हमें यह सब करना पड़ रहा है.
जस्टिस ओका ने राज्य के हलफनामे को पढ़ा, तो उन्हें एहसास हुआ कि राज्य का आश्वासन शर्तों पर आधारित था. उन्होंने कहा कि आप कह रहे हैं कि राज्य इस परियोजना को मंजूरी देगा यदि कोई और परियोजना रद्द कर दी जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य को एक स्पष्ट हलफनामा देना होगा जिसमें यह बताया जाएगा कि इस प्रोजेक्ट को कब पूरा किया जाएगा और धन कब जारी किया जाएगा.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में सीवेज ट्रीटमेंट प्लॉंट लगाने और उसके ऑपरेशनल होने के समयसीमा की मांग की गई थी. एनजीटी को बताया गया कि वसाई विरार नगर पालिका क्षेत्र में तकरीबन 184 मिलियन लीटर सीवेज वेस्ट की निकासी होती है, जिसमे से केवल 15 मिलीयन लीटर वाटर डिस्पोजल ट्रीटमेंट किया जा रहा है. एक ज्वाइंट कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कुल सीवेज वेस्ट का लगभग 68% वेस्ट अनट्रीटेड रह जाता है जो सीधे स्थानीय नदी नाले में गिरती है. एनजीटी ने नियमों का उल्लंघन पाते हुए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड (MPCB) को निगम के अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का पालन नहीं करने से हुए पर्यावरणीय क्षति को कैलकुलेट कर उसे वसई विरार नगर निगम से मांगने को कहा है. वहीं जब पॉल्यूशन नियंत्रक बोर्ड ने जब जुर्माना लगाया है. वसई विरार नगर निगम ने इसी फैसले के सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. सुप्रीम कोर्ट में नगर निगम ने दावा किया कि डिटेल्ट प्रोजेक्ट रिपोर्ट राज्य के पास रिव्यू के लिए पेंडिंग है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने राज्य को पार्टी बनाया. 6 दिसंबर 2024 के दिन महाराष्ट्र सरकार ने अपना जबाव रखने के लिए समय की मांग की.