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OROP scheme के बकाया भुगतान के लिए Supreme Court ने तय की समय सीमा

सुप्रीम कोर्ट ने पारिवारिक पेंशनरों और वीरता पुरस्कार विजेताओं के पेंशनभोगियों के बकाया भुगतान को 30 अप्रैल, 2023 या उससे पहले एक ही किश्त में भुगतान करने के निर्देश दिए है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : March 20, 2023 9:47 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension Scheme) योजना के तहत सभी पात्र पारिवारिक पेंशनरों और वीरता पुरस्कार से सम्मानित सैन्यकर्मियों का बकाया भुगतान शीघ्र करने का निर्देश देते हुए उनके भुगतान की समय सीमा तय कर दी है.

CJI DY Chandrachud, Justice PS Narasimha और Justice JB Pardiwala की पीठ ने केन्द्र सरकार को विभिन्न श्रेणियों के पेंशनभोगियों को बकाया भुगतान को तीन भागों में करने का निर्देश ​दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने पारिवारिक पेंशनरों और वीरता पुरस्कार विजेताओं के पेंशनभोगियों के बकाया भुगतान को 30 अप्रैल, 2023 या उससे पहले एक ही किश्त में भुगतान करने के निर्देश दिए है.

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार केन्द्र सरकार को 70 वर्ष से अधिक आयु वालों को 30 जून, 2023 को या उससे पहले भुगतान करना होगा. बाकी 11 लाख पेंशनभोगियो को तीन समान किस्तों में बकाया का भुगतान किया जाएगा. इन सभी को 31 अगस्त 2023, 30 नवंबर 2023 और 28 फरवरी 2024 को बराबर किश्तों में वन रैंक वन पेंशन के बकाये का भुगतान किया जाएगा.

पीठ ने कहा कि 25 लाख पेंशनभोगियों में से चार लाख ओआरओपी योजना के योग्य नहीं पाए गए क्योंकि उन्हें बढ़ी हुई पेंशन मिल रही थी और केंद्र ने 30 अप्रैल 2023 तक बकाये का भुगतान करने का प्रस्ताव दिया था। न्यायालय ने इस समय सीमा को घटाकर अगले साल 28 फरवरी कर दिया।

इसके साथ ही पीठ ने यह साफ कर दिया कि बकाये का भुगतान ‘‘पूर्व सैन्य कर्मियों की पेंशन को समान करने की प्रक्रिया पर असर नहीं डालेगा जो 2024 में किया जाना है।’’

सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब पर CJI ने क्या कहा

सुनवाई शुरू होने पर शीर्ष न्यायालय ने ओआरओपी के बकाये के भुगतान पर केंद्र द्वारा सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘हमें उच्चतम न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के चलन पर रोक लगाने की जरूरत है...यह मूल रूप से निष्पक्ष न्याय दिए जाने की बुनियादी प्रक्रिया के विपरीत है।’’

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के खिलाफ हूं। अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए...यह आदेशों को अमल में लाने को लेकर है। इसमें गोपनीय क्या हो सकता है।’’

उच्चतम न्यायालय ओआरओपी बकाये के भुगतान को लेकर ‘इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट’ (आईईएसएम) की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।