सुप्रीम कोर्ट ने देश में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए मेडिकल सीटों को नहीं भरे जाने से चिंता जताई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए मेडिकल सीटें व्यर्थ नहीं जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के एडमिशन प्राधिकारी को रिक्त मेडिकल सीटों को विशेष काउंसलिंग के जरिए भरने और 30 दिसंबर तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने को कहा है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उन याचिकाओं पर आया है, जिनमें खाली सीटों के लिए विशेष काउंसलिंग की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने विशेष काउंसलिंग आयोजित कर, 30 दिसंबर तक, सभी खाली बचे मेडिकल सीटों को भरने का आदेश दिया है. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दावा किया पांचवे चरण के बाद काउंसिलिंग की प्रक्रिया नहीं बढ़ी, लेकिन इसमें कई सीटें खाली रह गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक तो देश में डॉक्टरों की बेहद कमी है और ऐसे में मेडिकल कॉलेज की बहुमूल्य सीटें खाली नहीं जानी चाहिए. बहस के दौरान, नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि खाली सीटों को देखते हुए काउंसिल कराने के फैसले को बढ़ाया जा सकता है.
वहीं, एडमिशन देने के तरीके पर सुप्रीम कोर्ट ने हिदायत देते हुए कहा कि कोई भी कॉलेज किसी स्टूडेंट को अपने स्तर से एडमिशन नहीं देगा, यह सीटे भरने की प्रक्रिया राज्य स्तर की स्टेट एडमिशन अथॉरिटी ही स्पेशल काउंसलिंग के जरिए करेगी. बता दें कि एडमिशन वेटिंग लिस्ट में शामिल छात्रों को दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कहा कि ये फैसला विशेष परिस्थितियों के आधार पर लिया गया है. इसे मिसाल के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने उक्त निर्देशों के साथ याचिका का निपटारा किया.